-मस्जिदों में शुरू हुआ तरावीह का सिलसिला
-देर रात्रि तक खुली रही मुस्लिम इलाकों में दुकानें
लियाकत मंसूरी
मेरठ। चांद नजर आते ही शनिवार से मस्जिदों में तरावीह का सिलसिला शुरू हो गया। रविवार सुबह पहला रोजा होने के कारण रमजान माह का आगाज हो जाएगा। मगरिब के बाद मुस्लिम इलाकों में रमजान का आमद होने से चहल कदमी शुरू हो गई। मस्जिदों में सबीना भी पढ़ाया जाने लगा।
नायब शहर काजी जैनुल राशिद्दीन ने बताया कि रमजान माह का चांद नजर आ गया है और सुबह सहरी होंगी। उन्होंने बताया कि सहरी का समय सुबह 4:48 बजे है, जबकि इफ्तियार का समय शाम 6:43 बजे है। शनिवार रात्रि से ही तरावीह का सिलसिला मस्जिदों में शुरू हो गया। बताया कि छीपी टैंक, गुदरी बाजार, लिसाड़ीगेट, जाकिर कॉलोनी, जैदी फार्म, जली कोठी, घंटाघर सहित कई मस्जिदों में 3 से लेकर 15 दिन का सबीना शुरू हो गया है। उन्होंने सभी मुस्लिमों से रमजान रखने की अपील की। रमजान की आमद होते ही मुस्लिम इलाके खासकर घंटाघर, शाहपीर गेट, लिसाड़ीरोड आदि में देर रात्रि तक दुकानें खुली रही।
रमजान का महत्व
इस बार रमजान 2 अप्रैल शनिवार से आरंभ हो रहे हैं और यह 02 मई तक चलेगा। इस्लाम में बताया गया है कि रोजा रखने से अल्लाह खुश होते हैं और सभी दुआएं कुबूल करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस महीने की गई इबादत का फल बाकी महीनों के मुकाबले 70 गुना अधिक मिलता है। चांद के दिखने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय के लोग सुबह के समय सहरी खाकर इबादतों का सिलसिला शुरू कर देते हैं। इसी दिन पहला रोजा रखा जाता है। सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को सहरी कहा जाता है और सूरज ढलने के बाद रोजा खोलने को इफ्तार कहा जाता है। सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को सहरी कहा जाता है।
किन हालात में टूटता है रोजा
-रोजा याद हो, लेकिन कुल्ली करते वक्त चूक होने पर पानी हलक से नीचे उतर जाए।
-कान में तेल डालने से।
-अगर कोई चीज नाक के जरिए डाली और वह हलक से नीचे उतर गई।
-दांत से निकले हुए ज्यादा खून को अगर हलक से नीचे उतार लिया।
-रात के खाने के बाद दांतों में चने के टुकड़े से ज्यादा खाने की चीज फंस जाए और सहरी के बाद वह हलक से नीचे उतर जाए।
-माहवरी के दौरान रोजा नहीं रखा जाता।
सफर में रोजा
-48 मील या उससे अधिक के सफर में कोई रोजा कजा कर दे तो कुछ हरज नहीं। सफर चाहे पैदल का हो या वाहन का। गौरतलब है कि रोजे की नीयत करने के बाद सफर पर चले तो वह रोजा पूरा करना जरूरी है।
-आदमी बहुत कमजोर या बीमार हो और रोजा रखने से रोग बढ़ जाने का डर हो, तो वह रोजा कजा किया जा सकता है।
रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखे-प्यासे रहना नहीं है, बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है यानि न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न ही बुरा कहें।
इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके द्वारा बोली गई बातों से किसी की भावनाओं पर ठेस न पहुंचे। रमजान के महीने में कुरान पढ़ने का अलग ही महत्व होता है।
हर दिन की नमाज के अलावा रमजान में रात के वक्त एक विशेष नमाज भी पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं।
रमजान इफ्तारी और सहरी करने की समय सारणी-
तारीख सहरी का समय इफ्तार का समय
03 अप्रैल 04:48 18:43
04 अप्रैल 04:47 18:43
05 अप्रैल 04:46 18:44
6 अप्रैल 04:45 18:44
07 अप्रैल 04:43 18:45
08 अप्रैल 04:42 18:45
09 अप्रैल 04:41 18:46
10 अप्रैल 04:40 18:46
11 अप्रैल 04:38 18:47
12 अप्रैल 04:37 18:48
13 अप्रैल 04:36 18:48
14 अप्रैल 04:35 18:49
15 अप्रैल 04:33 18:49
16 अप्रैल 04:32 18:50
17 अप्रैल 04:31 18:50
18 अप्रैल 04:30 18:51
19 अप्रैल 04:28 18:52
20 अप्रैल 04:27 18:52
21 अप्रैल 04:26 18:53
22 अप्रैल 04:25 18:53
23 अप्रैल 04:24 18:54
24 अप्रैल 04:22 18:55
25 अप्रैल 04:21 18:55
26 अप्रैल 04:20 18:56
27 अप्रैल 04:19 18:56
28 अप्रैल 04:18 18:57
29 अप्रैल 04:17 18:58
30 अप्रैल 04:16 18:58
01 मई 04:15 18:59
02 मई 04:14 18:59
खबरें और भी हैं...
महाराष्ट्र में भगवा जीत के लिए जमीन पर उतरा संघ, 300,000 से अधिक छोटी बैठकें आयोजित करेगा
देश, बड़ी खबर, महाराष्ट्र चुनाव
बहराइच: पांडेय जेवलर्स की दुकान का शटर काटकर लाखो की चोरी
उत्तरप्रदेश, बहराइच
शाहजहांपुर: जिला गंगा समिति द्वारा भव्य दिव्य गंगा उत्सव आयोजित
उत्तरप्रदेश, शाहजहांपुर