लखनऊ। उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक गुरुवार को लखनऊ के उस सिविल अस्पताल पहुंचे, जहां से बुधवार को एक बेटी की अपने पिता को गोद में उठाए तस्वीर सामने आई थी। पिता को चलने-फिरने में तकलीफ थी। उन्हें अस्पताल लाई, लेकिन स्ट्रेचर नहीं मिला तो स्वयं बेटी पिता के लिए स्ट्रेचर बन गई। उसने अपने से दोगुना वजन के पिता को गोद में उठाकर डॉक्टर के पास ले गई। ब्रजेश पाठक ने इस मामले को संज्ञान में लिया और गुरुवार सुबह अस्पताल की वास्तविक स्थिति को जांचने पहुंच गए।
व्हीलचेयर देख हो उठे आग बबूला
सिविल अस्पताल यानी डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल हजरतगंज में है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक गुरुवार की सुबह पहुंचे तो यहां डॉक्टरों में हड़कंप मच गया। उन्होंने अस्पताल के डायरेक्टर आनंद ओझा से मुलाकात की और व्हीलचेयर दिखाने को कहा। सामने पड़ी 3 व्हीलचेयर को भी खुद चलाकर देखा तो वे आग बबूला हो उठे।
अस्पताल प्रशासन में अफरा-तफरी
अस्पताल प्रशासन के अफसर कुछ समझ पाते कि इससे पहले डिप्टी सीएम परिसर में दाखिल हो चुके थे। इस दौरान उन्होंने मरीजों को मिलने वाली सामान्य व्यवस्थाओं को भी परखा। मंत्री खुद आगे-आगे चलकर रहे थे और मरीजों के काम आने वाली सभी जरुरतों को परख रहे थे।
डिप्टी सीएम ने डायरेक्टर से कहा, ‘देखिए इस व्हीलचेयर में पहिए नहीं हैं। इससे गिरकर मरीज टूट जाएगा। आप सीएमओ हैं। इसे ठीक करना आपकी जिम्मेदारी है। बताइए हम कैसे काम कर पाएंगे। इसे दुरुस्त करिए। पैसा है खरीदने का? जल्द 6 व्हीलचेयर खरीदिए। इससे साबूत आदमी नहीं चल पाएगा। बीमार की बात छोड़ दीजिए’। इसके बाद ब्रजेश पाठक अस्पताल के गेट पर पहुंचे, लेकिन वहां स्ट्रेचर नहीं मिला। बताया गया कि स्ट्रेचर इमरजेंसी में रहता है।
डॉक्टरों के संग की बैठक
इसके बाद डिप्टी सीएम अंदर कॉरिडोर पहुंचे। वहां पर उन्होंने फैले पड़े सामान को लेकर भी जिम्मेदारों से सवाल किया। इस दौरान मौके पर मौजूद रहे मरीज व तीमारदारों से भी वह रुबरु होते दिखे। डिप्टी सीएम ने कुछ देर अस्पताल के सभी चिकित्सकों व स्टॉफ के साथ बैठक करके उनसे भी समस्याओं के बारे में जाना। साथ ही अस्पताल की सभी व्यवस्था को अगले 7 दिन के भीतर दुरुस्त करने के आदेश दिए।
पिता के लिए खुद स्ट्रेचर बनी बेटी
एक दिन पूर्व यानी बुधवार को सिविल अस्पताल में बीमार पिता का इलाज कराने आई 2 बेटियों की तस्वीर सामने आई थी। चलने में असमर्थ पिता को डॉक्टर को दिखाने के लिए बेटी खुद उन्हें गोद मे उठाकर अस्पताल पहुंची थी। इस दौरान अस्पताल में उसे व्हीलचेयर या स्ट्रेचर नहीं मिली थी।