बांदा : निजीकरण के विरोध में गरजे बैंक व बीमा कर्मचारी, हड़ताल से ठप रहा करोड़ों का लेनदेन

जिले भर की एक सैकड़ा शाखाओं में पूरा दिन लटकते रहे ताले

यूपीबीईयू के बैनर तले धरना देकर किया विरोध-प्रदर्शन

भास्कर न्यूज

बांदा। केंद्र सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण किए जाने के विरोध में यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस (यूएफओबीयू) के आह्वान पर कुछ बैंकों को छोड़कर जिले की लगभग एक सैकड़ा बैंक शाखाओं और बीमा कर्मचारी हड़ताल पर रहे। दो दिवसीय हड़ताल के पहले दिन लगभग करोड़ों रुपये का लेन-देन प्रभावित हुआ। हड़ताल के चलते विभिन्न कार्यों से आने वाले उपभेक्ताओं को मायूस होकर लौटना पड़ा। बैंक कर्मचारियों ने अलग-अलग बैंक व बीमा शाखाओं में विरोध-प्रदर्शन करते हुए अपने हक की आवाज बुलंद की।

यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस ने दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है। इसके तहत ही सोमवार को जनपद के सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों की लगभग एक सैकड़ा शाखाओं के कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया। दो दिवसीय हड़ताल के चलते पहले ही दिन लगभग 90 करोड़ रुपये का लेनदेन प्रभावित हुआ। उत्तर प्रदेश बैंक इंप्लाइज यूनियन (यूपीबीईयू) के बैनर तले बैंक कर्मचारियों ने आवास विकास कालोनी स्थित पंजाब नेशनल बैंक शाखा के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया। शाखा के बाहर आयोजित धरना-प्रदर्शन को संबोधित करते हुए यूनियन जिला मंत्री रावेंद्र शुक्ला ने कहा कि कर्मचारी लंबे समय से विभिन्न प्रकार की मुश्किलों से जूझ रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। कर्मचारियों की समस्याओं को दूर करने की बजाए निजीकरण की तरफ सरकार का ध्यान है। कहा कि निजीकरण होने से न सिर्फ कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ जाएगी, बल्कि उत्पीड़न भी बढ़ेगा। किसी समस्या का समाधान निजीकरण नहीं बल्कि मुलभूत समस्या को जड़ से समाप्त करना है। सरकार समस्या को जड़ से समाप्त करने की बजाए पूंजीपतियों को लाभ दिलाने के लिए निजीकरण कर रही है। यह देश के लिए काफी चिंताजनक है। राष्ट्रीयकृत बैंकों के अर्जित लाभ से देशवासियों और राष्ट्र निर्माण में उपयोग होता है। जबकि निजी बैंको का लाभ निजी लोगों के लिए होता है। बैंकों को निजी हाथों में देने के बाद गरीब लोगों को मिलने वाले आरक्षण का लाभ समाप्त हो जाएगा।

इस मौके पर नरेंद्र कश्यप, अंकुर श्रीवास्तव, अरुण कुमार, शशिकांत गुप्ता, गिरिजेश शुक्ला, राघवेंद्र शुक्ला, नवल, राकेश गुप्ता, पराग, कृष्णकांत, राघवेंद्र त्रिपाठी, राघवेंद्र निगम, विक्रम बहादुर सिंह, सलमान, मनोज, हरिनारायण तिवारी, मोहित गुप्ता, बृजेश तिवारी, शैलेश कुमार सिंह, संदीप, जितेंद्र, महेंद्र, सुरेंद्र, श्रवण, सुनील, राजेश, अजय, राहुल, चुन्नूलाल यादव, आकाश, रईस, संजय, सागर, गोविंद, दीपक गुप्ता आदि शामिल रहे। उधर निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के तत्वावधान में धरना प्रदर्शन किया गया। बिजली कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार के दौरान केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस मौके पर पियूष द्विवेदी, राजेश श्रीवास, नवीन सिंह, अतुल कुमार, राम सिंह आदि शामिल रहे।

भटकने को मजबूर हुए उपभेक्ता

यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर दो दिवसीय हड़ताल के पहले दिन विभिन्न कार्यों से बैंकों में पहुंचे उपभेक्ताओं को मायूस होकर लौटना पड़ा। दरअसल दो दिवसीय बैंकों में हड़ताल होने की जानकारी तमाम उपभेक्ताओं को नहीं थी। नतीजा यह हुआ कि धन निकासी व जमा करने के लिए बैंक पहुंचने वाले उपभेक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। काम हुए बगैर ही ऐसे तमाम उपभेक्ता घरों को वापस लौटने को विवश हुए। बैंक आॅफ बड़ौदा की महेश्वरी देवी शाखा में मिले उपभेक्ता दिनेश कुमार, प्रकाश और भूपत सिंह ने बताया कि हड़ताल की जानकारी नहीं थी। जरूरी कार्य के लिए धन निकासी करने आए थे। अभी तक एटीएम कार्ड नहीं बना है। इससे पैसा नहीं निकल पाया। ऐसा ही नजारा पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक समेत अन्य बैंकों के बाहर दिखाई दिया। अलग-अलग बैंकों में पहुंचे अन्य उपभेक्ताओं को भी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

9 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर रहे आयकर कर्मचारी

बैंक कर्मचारियो की हड़ताल के साथ आयकर विभाग के कर्मचारियों ने केंद्र सरकार की मुसीबत और बढ़ा दिया। आयकर कर्मचारी महासंघ पश्चिमी यूपी व उत्तराखंड-कानपुर परिक्षेत्र की जिला यूनिट पदाधिकारी व कर्मचारी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार को दो दिवसीय हड़ताल पर चले गए। जिलाध्यक्ष विनोद कुमार ने बताया कि नई पेंशन स्कीम खत्म कर पुरानी पेंशन नीति को लागू करने के अलावा अन्य मांगों को लेकर जनपद के आयकर कर्मचारी हड़ताल पर रहे। मांगों में विभाग में कई वर्षों से अनियमित कर्मचारियों को नियमित, समान काम समान वेतन, सेवा सुरक्षा, पीएफआरडीए बिल रद्द, सातवें वेतन आयोग के अनुसार एचआरए में बढ़ोतरी, सार्वजनिक सेवाओं के निजीकरण पर जनसंख्या मुताबिक पद स्वीकृत करने, निजीकरण व निगमीकरण पर रोक की मांग शामिल है। 

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