लखनऊ। उत्तर- प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रदेशभर में रैलियां व रोड शो कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की भरपूर कोशिश की है. लेकिन कई मोर्चे पर उनकी असक्रियता भी देखने को मिली. वहीं, उनकी रैली, रोड शो व जनसभाओं की गिनती करें तो यह संख्या सैकड़ों में रही. पिछले चुनावों की तुलना में अबकी प्रचार-प्रसार की दृष्टिकोण से कांग्रेस बेहतर स्थिति में जरूर रही, लेकिन देखना दिलचस्प यह होगा कि प्रियंका की मेहनत सीटों की संख्या बढ़ाने में कितना सफल रहती है।
प्रियंका ने संभाला मोर्चा
प्रदेश में प्रभारी के तौर पर प्रियंका ने कांग्रेस पार्टी के पक्ष में बेहतर परिणाम लाने को भरपूर मेहनत की है. साथ ही उन्होंने प्रदेश की ज्यादातर विधानसभाओं में पहुंचकर पार्टी प्रत्याशियों को जीत की उम्मीद बंधाई और 32 साल से वनवास काट रही कांग्रेस को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने की भी हर संभव कोशिश की. जिसके लिए चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद ही प्रियंका ने मोर्चा संभाल लिया था. यूपी के साथ-साथ वो अन्य राज्यों के चुनाव में भी सक्रिय रही और वहां भी लगातार रैली व जनसभाएं कीं, पर उनका फोकस पूरी तरह से उत्तर प्रदेश पर ही रहा।
कई जनपदों में प्रियंका ने की रैली
वहीं, प्रदेश के विभिन्न जनपदों में प्रियंका गांधी ने डोर-टू-डोर कैंपेन के साथ ही जमकर फिजिकल रैलियां, पब्लिक मीटिंग, नुक्कड़ सभाएं और वर्चुअल रैलियां की. हालांकि, इन सबको मिलाकर यह संख्या करीब 500 के आसपास रही. इधर, प्रियंका ने प्रचार अभियान के दौरान कुल 42 रोड शो किए तो 167 रैलियां व 291 से अधिक वर्चुअल रैलियों के जरिए लगभग 340 विधानसभाओं को छुआ तो वहीं इस समयावधि में वो तीन बार पंजाब, दो बार उत्तराखंड और दो बार गोवा भी गई।
लखीमपुर खीरी को कैसे भूली प्रियंका
रास्ता…यूपी विधानसभा चुनाव के लिए भले ही प्रियंका गांधी ने प्रदेश की तमाम विधानसभाओं में जनसभाएं, रैलियां, रोड शो और नुक्कड़ सभाएं की, लेकिन जिस लखीमपुर खीरी में प्रियंका गांधी ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी और गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी की मांग को लेकर सड़क पर संघर्ष किया था, वहां उनकी पूरे चुनाव के दौरान कोई खास सक्रियता नहीं दिखी।
लखीमपुर की जनता को था प्रियंका का इंतजार
हालांकि, लखीमपुर खीरी वाक्या के दौरान किसान परिवारों से मिलने की जिद पर अड़ी प्रियंका तीन दिनों तक हिरासत में रहीं, लेकिन चुनाव के वक्त वो उसी लखीमपुर खीरी का रास्ता ही भूल गईं. खैर, लखीमपुर की जनता चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी का इंतजार करती रही, लेकिन उनके रणनीतिकारों ने एक बार भी प्रियंका को लखीमपुर की तरफ रुख करने को नहीं कहा।
चुनावी मैदान से बाहर दिखे लल्लू
यह भी अपने में आश्चर्यजनक बात रही कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू पूरे चुनाव भर में सिर्फ अपने लिए ही प्रचार करते रहे. प्रियंका गांधी भी केवल उनके लिए उन्हीं की सीट पर प्रचार के लिए पहुंची थीं. हालांकि लल्लू सातवें चरण के प्रचार के आखिरी दिन उनके करीबी माने जाने वाले जौनपुर से कांग्रेस प्रत्याशी नदीम जावेद के लिए रोड शो करते जरूर दिखी थे.वहीं, नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेताओं की ओर से कहा गया कि चुनावों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था, जब पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष ही चुनावी मैदान में प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करने तक नहीं उतरा. लेकिन ऐसा नहीं था कि वो प्रचार नहीं करना चाहते थे, बल्कि उनके कद को कमतर कर आका गया।