भोगांव/मैनपुरी। क्षेत्र में अन्ना मवेशियों की धमाचौकड़ी से लोगो को निजात मिलती नहीं दिख रही है। गौशालाएं फुल है इसलिए खेतों से लेकर सड़कों तक अन्ना मवेशियों के झुंड घूम रहे है। अफसर पहले चुनाव और अब मतगणना की व्यवस्था में लगे है, इससे गौशालाओ की व्यवस्थायें बिगड़ गई है। कहीं हरा चारा नहीं है तो कहीं दाना नही है। बस सूखे भूसे से जैसे तैसे काम चलाया जा रहा है।
गौशालाओं में जो गौवंश है उनकी हालत दयनीय होती जा रही है। प्रशासन भले ही गौवंशो को गौशालाओ में बंद रखने के दावे करता आ रहा हो लेकिन नगर की स्थिति इससे उलट है। क्षेत्र में जितने गौवंश गौशालाओ में बंद है, उससे कहीं अधिक छुट्टा घूम रहे है। इससे ग्रामीण इलाकों में जहां किसान परेशान है तो वहीं शहरी इलाकों में राहगीरो को मुश्किलें हो रही है। गौशालाओं की व्यबस्था महंगे भूसे के कारण बिगड़कर रह गई है। जिन गौशालाओ में भूसे के ढेर लगे रहते थे उन गौशालाओ में बस काम चलाऊ भूसा जैसे तैसे इखट्ठा किया जा रहा है। गौशालाओ में गौपालकों का मानदेय भी समय से नही मिल रहा है जिससे गौपालक भी परेशान है। चुनाव बाद मतगणना में लगे अफसरों की अनदेखी के कारण भी गौशालाओ की व्यवस्था फेल होती नजर आ रही है। क्षेत्र की गौशालाओ में क्षमता से अधिक गौवंश बंद है। कई गौशालाओ में गौवंश छोड़ दिए गए है। जिन इलाकों में अधिक गौवंश है उन इलाकों में किसान गौवंशो को हांककर गौशालाओ को ले जाते है। लेकिन गौवंशो को वापस किया जा रहा है। किसान गौवंशो से फसलो को बचाने के लिए कभी इधर तो कभी उधर हांकते फिर रहे है, इससे ग्रामीण इलाकों में तनाव की स्थिति बनी हुई है। किसान गौवंशो को पकड़वाने के लिए जिम्मेदारों से गुहार लगा रहे है लेकिन इसके बाद भी गौवंशो को पकड़वाने का काम नही किया जा रहा है। गौशालाओ से गौवंश छोड़े जाने और पर्याप्त चारा भूसा दाना न होने को लेकर जिम्मेदार भी असमर्थता जता रहे है। जिम्मेदारों की ओर से बस यह कहा जा रहा है कि प्रशासन अकेले गौशालाएं नहीं चला सकता है, जनसहयोग की बहुत जरूरत है।