– भक्ति को बुद्धि में नहीं मन में रखना चाहिए- स्वामी प्रेमदास
मैनपुरी। भीमसेन मंदिर में पंचदिवसीय सत्संग और प्रवचन कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए स्वामी प्रेमदास भदौरिया ‘‘सूरदास‘‘ ने कहा कि हमको भक्ति को मन में रखना चाहिए। भक्ति को बुद्धि में नहीं रखना चाहिए। भक्ति नौ प्रकार की है। पहली भक्ति संतों का सानिध्य प्राप्त हो वह भी मन से। उन्होंने कहा कि सत्संग में संतों के सानिध्य में पवित्र मन से जाना चाहिए। पूजा करते समय मूर्ति या कलेंडर में भगवान को समझना चाहिए। फिरोजाबाद से आये स्वामी विवेकानंद ने कहा कि बिना सज्जन पुरषों के सानिध्य के सत्संग हो ही नहीं सकता। सत्संग पंडाल में प्रवेश करते समय दुनियादारी छोड़कर केवल भगवत भजन में ही ध्यान लगाना चाहिए। संचालन करते हुए आचार्य चन्दन मिश्रा ने कहा कि जो भी व्यक्ति संतजनों और श्रेष्ठजनों के साथ समय व्यतीत करता है उसे जीवन में अनेक प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं और मृत्यु के बाद वैकुंठ में जाता है तथा परमब्रह्म की शरण में जाता है।
कार्यक्रम में संतों का साथ ऑरगन पर सुरेंद्र सिंह ‘‘‘चक्कर‘‘ ने तथा तबला पर धीरज बाबू ने दिया। इस दौरान अध्यक्ष महेश चंद्र अग्निहोत्री, वीर सिंह भदौरिया, रमेश चंद्र ‘‘सर्राफ‘‘, कैलाश तिवारी, हेमन्त चांदना, बृजेन्द्र सिंह कुशवाह ‘‘टिल्लू‘‘, प्रशान्त मिश्रा, अभय कुशवाह, प्रमोद सक्सेना, राजवीर भदौरिया, मूलचंद्र सक्सेना, राजेन्द्र प्रसाद मिश्रा, सुखेन्द्र कुशवाह, विनोद गुप्ता, विश्वनाथ सिंह चौहान, हरेंद्र चौहान, वेदप्रकाश, रामवीर भदौरिया, ब्रजकिशोर तिवारी आदि मौजूद थे।