लखनऊ- यूपी में संशोधित नागरिकता कानून यानी कि CAA मामले को लेकर एक बड़ा फैसला सामने आया हैं। आपको बता दें कि CAA मामले में पाये गये सभी दोषियों यानि कि विरोधी प्रदर्शनकारियों से जब्त की गई सभी संपत्तियां यूपी में वापस लौटाई जाएगी। दरअसल, यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने दिसंबर 2019 में भेजे गए तोड़फोड़ की भरपाई के लिए नोटिस वापस ले लिया है।
उत्तर प्रदेश में संशोधित नागरिकता कानून यानी कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों से जब्त की गई संपत्ति यूपी में वापस लौटाई जाएगी। दरअसल, यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने दिसंबर 2019 में भेजे गए तोड़फोड़ की भरपाई के लिए नोटिस वापस ले लिया है। कोर्ट ने अब तक की गई वसूली को लौटाने (रिफंड) के आदेश दिए हैं। हालांकि, शीर्ष कोर्ट ने यूपी सरकार को नए कानून के तहत कार्रवाई करने की आजादी दी है। कोर्ट ने नए कानून के तहत बने क्लेम ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद दोबारा वसूली के आदेश दिए हैं।
यूपी में 2019 में हुए विरोध प्रदर्शन में सरकारी व निजी संपत्तियों के नुकसान की वसूली के लिए भेजे गए सभी 274 नोटिस और कार्यवाहियों को वापस ले लिया गया है। सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हुए इन नुकसान की भरपाई के लिए नोटिस को 13 और 14 फरवरी को वापस लिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा आखिर क्या था कारण
पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में जारी नोटिस पर सवाल उठाया था। कोर्ट ने कहा था कि यह नोटिस 2009 में आंध्र प्रदेश से जुड़े एक मामले में दिए गए उसके फैसले के मुताबिक नहीं है। संपत्ति को हुए नुकसान की वसूली का मामला क्लेम ट्रिब्यूनल को भेजा जाना चाहिए जिसमें न्यायिक अधिकारी वसूली पर फैसला लें। यूपी सरकार ने कोर्ट को बताया कि उसने 2020 में नया कानून बना कर क्लेम ट्रिब्यूनल गठित किया है। इस पर कोर्ट ने यूपी सरकार से पुराने नोटिस वापस न लेने का कारण पूछा था।
जब्त संपत्ति लौटाने का आदेश
यूपी सरकार के लिए पेश राज्य की एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 14 और 15 फरवरी नया आदेश जारी कर सभी पुराने नोटिस वापस ले लिए गए हैं। इन सभी 274 मामलों की फाइल क्लेम ट्रिब्यूनल को भेजी जाएगी। इस बीच याचिकाकर्ता परवेज आरिफ टीटू के लिए पेश वकील नीलोफर खान ने कहा कि दिसंबर 2019 से लेकर अब तक छोटे दुकानदार, रिक्शा चालक जैसे लोग परेशान हैं। उनकी संपत्ति एक ऐसी प्रक्रिया के तहत जब्त की गई है, जो कि अब निरस्त कर दी गई है।
वसूल की गई संपत्ति और धनराशि तुरंत लौटा दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जिला प्रशासन द्वारा मनमाने तरीके से नोटिस भेजे गए। एक नोटिस छह साल पहले 94 साल की उम्र में दिवंगत हो चुके व्यक्ति को भेजा गया।