योगी आदित्यनाथ पर दो बेस्टसेलर पुस्तक लिखने वाले लेखक शान्तनु गुप्ता ने अपने अमरीका दौरे के दौरान, हार्वर्ड स्क्वायर में छात्रों के साथ योगी आदित्यनाथ पर एक विस्तृत चर्चा की। हार्वर्ड केनेडी स्कूल, हार्वर्ड बिजनेस स्कूल और हार्वर्ड एजुकेशन स्कूल के छात्र चर्चा में शामिल हुए। बोस्टन क्षेत्र के अन्य संस्थानों के विद्वान और छात्र भी इस चर्चा में शामिल हुए।
चर्चा मुख्य रूप से दो प्रमुख विषयों के इर्द-गिर्द घूमती रही – यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के तहत उत्तर प्रदेश के परिवर्तन की बारीकियां और एक धार्मिक संत किसी भी राज्य के शासन में क्या अलग मूल्य जोड़ सकता है।
बोस्टन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के प्रोफेसर बलराम ने लोकतंत्र के भविष्य और लोकतंत्र में एक धार्मिक शख्सियत की भूमिका के बारे में पूछा। इस पर शांतनु ने उत्तर दिया कि यद्यपि नीति निर्माण, नीति कार्यान्वयन, राजनीतिक अभियान आदि के लिए पर्याप्त विद्वता और साहित्य है, लेकिन दुनिया भर के लोकतंत्र ईमानदार और गैर-भ्रष्टाचारी राजनीतिक नेताओं को पैदा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ईमानदार नेताओं को पैदा करने के तरीकों पर कोई विद्वता, पुस्तक और साहित्य नहीं है। शांतनु ने कहा कि दुनिया भर के देशों को गैर-भ्रष्ट राजनीतिक नेताओं की जरूरत है, लेकिन ऐसे नेताओं को तैयार करने के लिए कोई स्थापित प्रक्रिया या कारखाना नहीं है।
शांतनु ने आगे कहा कि भारत में ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ (आरएसएस) और संयुक्त राज्य अमेरिका में इसके समकक्ष, ‘हिंदू स्वयंसेवक संघ’ (एचएसएस) ‘व्यक्ति निर्माण’ अर्थात ‘सामाजिक रूप से जागरूक इंसान के विकास’ पर केंद्रित है, जो मानवता के निःस्वार्थ सेवा की अवधारणा पर केंद्रित है। भारत की संत परम्परा भी त्याग करना सिखाती है। ‘व्यक्ति निर्माण’ की धारणा व संत परम्परा – दोनो ही अच्छे समर्पित निःस्वार्थ नेताओं को तैयार करने के लिए सभी लोकतंत्रों में एक समाधान हो सकता है। योगी आदित्यनाथ ने 22 साल की उम्र में संन्यास ले लिया और बाद में संसद सदस्य और फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। भाजपा से भारत के दो प्रधान मंत्री, अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी आरएसएस के त्याग के कठोर प्रशिक्षण से आते हैं और यह संयोग नहीं है कि ये तीनों अपनी गैर-भ्रष्टता और उच्च चरित्र के लिए जाने जाते हैं।
जब सुरभि होडिगेरे, एमपीपी उम्मीदवार और हार्वर्ड केनेडी स्कूल में इंडिया कॉकस की सह-अध्यक्ष ने शांतनु से योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की सबसे महत्वपूर्ण गुणवत्ता के बारे में पूछा, तो शांतनु ने जवाब दिया कि, जब उन्होंने 2017 में योगी आदित्यनाथ के पिता स्वर्गीय आनंद सिंह बिष्ट का साक्षात्कार किया था। आनंद जी ने कहा है कि वन अधिकारी के रूप में वे पंचूर गांव में ही एक छोटा सा घर ही बना पाए थे और अपने जीवनकाल में उन्होंने यही एकमात्र संपत्ति अर्जित की थी। लेकिन आनंद जी ने गर्व के साथ कहा कि उनके जीवन की सबसे बड़ी कमाई, उनके जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति है- उनका ईमानदार मुख्यमंत्री बेटा है। और पिछले 5 वर्षों में योगी आदित्यनाथ की कर्मठता, ईमानदारी और गैर-भ्रष्टाचार उनके शासन का मूल तत्व बन गया है।
इसके विपरीत, उत्तर प्रदेश में योगी के पूर्ववर्ती अखिलेश यादव ने राज्य के सीएम रहते हुए जीवन भर के सुख के लिए व्यक्तिगत संपत्ति की योजना बनाने की कोशिश की। 2016 में, अखिलेश यादव ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन आवास प्रदान करने के लिए उत्तर प्रदेश की राज्य विधानसभा में एक कानून पारित किया। सौभाग्य से, 2018 में, सुप्रीम कोर्ट (SC) ने अखिलेश यादव द्वारा लाए गए कानून को रद्द कर दिया और उन्हें सरकारी आवास खाली करना पड़ा। सरकारी आवास खाली करते समय भी, अखिलेश यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री के पद की गरिमा को तार-तार कर दिया और उन्होंने अपने आवंटित सरकारी आवास को एक बुरी तरह क्षतिग्रस्त पूल और लापता नल व टोटियों के साथ छोड़ा हैं।