घरेलू कार्यक्रम में आनंद बढ़ाने के लिए मंगाई गई जश्न की शीशी, एक दो नहीं 12 लोगों के सांसों की दुश्मन बन गई। शराब पीने के बाद अचानक पेट एंठा, उल्टी हुई और लाशें बिछ गई। गांव में कोहराम है। 12 परिवार तबाह हो गए हैं, जबकि कई तबाही की कगार पर हैं। सरकारी अमला घटना होने के बाद निलंबन और जांच की तय परंपरा का निर्वहन कर रहा है, लेकिन इन सबसे इतर रो-रोकर पथरा चुकी आंखों और मातम में डूबे लोगों पर कोई फर्क नहीं है। वे अपना सब कुछ लुटा चुके हैं। जीवन की उम्मीदों पर नशे के वज्रपात के बाद हादसे की चपेट में आए परिवारों की खुशियां आंसुओं के साथ बह गईं। अब गांव में पुलिस के पहरों के बीच सिर्फ सन्नाटा है।
महराजगंज के पहाड़पुर गांव निवासी 40 वर्षीय सरोज की नशे की लत ने उसकी जिंदगी के साथ हसते-खेतते परिवार से तमाम खुशियां छिन ली। पत्नी रीना के साथ ही 10 साल की बेटी साक्षी व पांच साल की मीनाक्षी के जीवन यापन के लिए अब एक बीघा भूमि एक मात्र सहारा है। पिता की मौत के बाद सिंचाई विभाग में नौकरी पाए पंकज सिंह का परिवार खुशी-खुशी चल रहा था। अचानक मंगलवार की शाम सबकुछ बदल गया। हसीन सपनें देखने वाली आंखों में अब आंसू ही आंसू हैं। पत्नी वर्षा को आज नहीं तो कल पति के स्थान पर नौकरी जरूर मिल जाएगी पर सात साल की महिमा व पांच साल की गरिमा के पापा अब उन्हें दुलारने के लिए कभी साथ नहीं होंगे। हालाकि अभी दोनों इससे अंजान हैं।
पहाड़पुर से महज एक किमी. दूर स्थित गांव डेढ़उवा निवासी 55 वर्षीय चंद्रपाल मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार की गा़ड़ी चलाते थे। दो दिन पहले तक सब सही था। परिवार छोटी बेटी की शादी के लिए दूल्हे की तलाश में जुटा था। बबली भी खुश थी। जल्द उसके हाथ जो पीले होने वाले थे पर अचानक नशे ने बबली ही नहीं रीता व पवन से भी उनके पिता को हमेशा-हमेशा के लिए छिन लिया। जिस घर में खुशियों का बसेरा था। वह अब मातम हैं। कुछ ऐसा ही मंजर पहाड़पुर में राम सुमेर सहित हर उस घर का है। जिन्होंने जश्न की खुशियों को साझा करने के लिए शीशी की बूंदों को अपने होंठों से लगाया था। जिन घरों से लाशें उठी हैं। उनका तो बुरा हाल है ही। वहीं वह भी परेशान हैं। जिनके अपने अब भी इलाज के लिए अस्पताल में हैं।