उत्तराखंड के चमोली में मची तबाही के बाद रेसक्यू अभियान जारी है। उत्तराखण्ड पुलिस ने ट्वीट कर बताया है ‘कल (7 फरवरी) के हादसे में अभी तक लगभग 202 लोगों के लापता होने की सूचना है, वहीं 19 के शव अलग अलग स्थानों से बरामद किए गए है। शोक और दुःख की इस घड़ी में प्रशासन आपके साथ है, कृपया सहयोग बनाए रखें. राहत-बचाव कार्य त्वरित रूप से जारी है।
कल के हादसे में अभी तक लगभग 202 लोगों के लापता होने की सूचना है, वहीं 19 के शव अलग अलग स्थानों से बरामद किए गए है। शोक और दुःख की इस घड़ी में प्रशासन आपके साथ है, कृपया सहयोग बनाए रखें। राहत-बचाव कार्य त्वरित रूप से जारी है। @Ashokkumarips pic.twitter.com/jOVa65M175
— Uttarakhand Police (@uttarakhandcops) February 8, 2021
वहीं उत्तराखंड के एडीजी मनोज रावत ने मीडिया को बताया, ‘ग्लेशियर टूटने से हुए नुकसान को हम अब कम करने का प्रयास कर रहे हैं। बहुत सारे लोग इसमें लापता हुए हैं। NTPC डैम में काम कर रहे लोग लापता हुए हैं और डैम को भारी नुकसान हुआ है।’
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार के मुताबिक,’अब तक हमने 18 शव बरामद किए हैं और लापता लोगों की संख्या 202 है। हमने टनल में 80 मीटर तक मलबा हटा दिया है, आगे हमारी मशीनें लगी हुई हैं और हमें शाम तक कुछ सफलता मिलने की उम्मीद है।’
चमोली में ग्लेशियर टूटने से मची भारी तबाही के बाद पूल टूटने से 13 गांवों से संपर्क भी टूट गया है। इस संबंध में चमोली जिलाधिकारी स्वाति भदोरिया ने कहा कि इन गांवों के लिए रेस्क्यू अभियान लगातार जारी है और उन्हें राहत पहुंचाई जा रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब तक इन गांवों में वैकल्पिक व्यवस्था या पुल तैयार नहीं हो जाता, तब तक हवाई मार्ग से यहां पर रसद पहुंचाते रहेंगे। हमारी मेडिकल टीमें भी पहुंच गई हैं।’
गौरतलब है कि ऋषिगंगा की चपेट में आने वाले ज्यादातर लोग रैंणी और तपोवन की बिजली प्रोजेक्ट से जुडे़ हैं। घटना के बाद स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अलावा एनडीआरएफ, आईटीबीपी और सेना राहत और बचाव में जुटी हुयी हैं।
जानकारी के मुताबिक अभी तक जो 200 से ज्यादा लोग लापता हैं उनमें से 32 रैणी गांव के हैं, जबकि 121 गायब लोग तपोवन परियोजना में कार्यरत थे। पावर प्रोजक्ट में काम करने वाले जो लोग गायब हुए हैं उनमें से उत्तराखण्ड के अलावा बिहार, मध्यप्रदेश, यूपी और हिमाचल के लोग शामिल हैं।
उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आसपास के इलाकों में भारी तबाही का मंजर है। ग्लेशियर टूटने के चलते अलकनंदा और धौली गंगा उफान पर हैं। ऋषिगंगा प्रोजेक्ट की सुरंग में फंसे लोगों को निकालने का अभियान रविवार 7 फरवरी की देर रात नदी का जल स्तर बढ़ने के कारण रोकना पड़ा था जो आज दोबारा शुरू हो गया। करीब ढाई सौ मीटर की सुरंग में अब भी दर्जनों लोगों के फंसे होने की आशंका जतायी जा रही है। हालांकि आशंका यह भी जतायी जा रही है कि अब तक सौ से ज्यादा लोग इस तबाही के कारण अपनी जान गंवा चुके होंगे।