97 की उम्र में बुजुर्ग को वापस मिली जमीन, 25 साल बाद डीएम ने कराया कब्जा मुक्त

देहरादून : गरीब बुजुर्ग लीला देवी और उनकी बेटी नीना को 25 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार न्याय मिल गया। वर्ष 1988 में लीला देवी के पति ने आजीविका चलाने के लिए अपनी जमीन 10 साल के लिए लीज पर दी थी, लेकिन उनके निधन के बाद वर्ष 2000 में किराएदार ने किराया देना बंद कर दिया और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन पर कब्जा कर लिया। तब से 97 वर्षीय लीला देवी और उनकी 80 वर्षीय बेटी नीना न्याय पाने के लिए कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रही थीं।

शारीरिक रूप से अक्षम लीला देवी अपनी बेटी के सहारे चलती रहीं लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। आखिरकार, उन्होंने एक बार फिर देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल के जनता दर्शन कार्यक्रम में अपनी फरियाद रखी। 3 जनवरी को आयोजित जनता दर्शन में उन्होंने डीएम के सामने अपनी व्यथा सुनाई और जमीन के कागजात पेश किए ।डीएम ने उनसे अच्छी तरह बात की और कहा कि मां जी चिन्ता न करो, आपको न्याय मिलेगा। बुजुर्ग घर लौट आई, उसे हर बार की तरह इस बार भी उम्मीद नहीं थी कि कुछ होगा। उधर वह घर पहुंची ही थी कि डीएम ने मामले की जांच उप जिलाधिकारी कुमकुम जोशी को सौंपी। एसडीएम ने भी जांच में तेजी दिखाते हुए डीएम को रिपोर्ट सौंपी कि जमीन बुजुर्ग लीला की है। दोनों बूढ़ी मां-बेटी को तब तक भी मालूम नहीं था, लेकिन जनवरी के आखिरी सप्ताह में जब जमीन की नापी होने लगी तो उन्हें कुछ आस जगी।

देहरादून के रायपुर क्षेत्र में 12 हजार वर्ग फीट जमीन पर बकायदा गैस गोदाम चल रहा था। रिपोर्ट मिलते ही जिलाधिकारी ने गैस गोदाम काे सीज करने के आदेश दिए। गोदाम सीज होने के बाद बीते दिन यानि 19 फरवरी 2024 की शाम एसडीएम कुमकुम जाेशी मौके पर पहुंची और शारीरिक रूप से अक्षम लीला देवी को उसकी जमीन तक ले गईं। वहां स्थित भवन की चॉबी सौंपने के साथ ही जमीन के तमाम कागज भी सौंपे। 97 वर्ष की बूढ़ी मां और 80 वर्ष की उसकी बूढ़ी बेटी की आंखों से आंसू छलक आए। एसडीएम भी भावुक नजर आईं, लेकिन न्याय दिलाने का संतोष एसडीएम के चेहरे पर साफ नजर आ रहा था। बूढ़ी लीला और नीना ने सविन बंसल, कुमकुम और प्रशासन की टीम को अश्रुपूर्ण धन्यवाद दिया। डीएम सविन बंसल ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार जनसाधारण को त्वरित न्याय दिलाने की नीति के तहत यह कार्रवाई की गई है।

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