9 महीने की जद्दोजहद, आखिर क्या खाकर स्पेस में जिंदा रहे सुनीता विलियम्स और बुच?

नासा के दो एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर आखिरकार 9 महीने बाद धरती पर वापस लौट आए हैं. दरअसल, वे बीते साल जून में केवल 8 दिनों के मिशन पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) गए थे, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण उन्हें वहां महीनों तक रुकना पड़ा. ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि केवल 8 दिन की तैयारी के साथ गए इन अंतरिक्ष यात्रियों ने इतने लंबे समय तक क्या खाया और कैसे जिंदा रहे?

कैसे हुआ भोजन का इंतजाम?

 नासा के कॉमर्शियल क्रू प्रोग्राम के मैनेजर स्टीव स्टिच के मुताबिक, दोनों एस्ट्रोनॉट्स की सेहत ठीक है और वे डॉक्टर्स की देखरेख में हैं. ISS पर लंबे समय तक रहने के दौरान उनके भोजन की आपूर्ति कैसे हुई, यह जानना दिलचस्प है.

अंतरिक्ष में कैसा मिलता है खाना?

ISS पर अंतरिक्ष यात्रियों को विशेष रूप से तैयार किया गया भोजन मिलता है. इसे इस तरह डिजाइन किया जाता है कि यह कम गुरुत्वाकर्षण में भी खाने योग्य हो और शरीर को आवश्यक पोषण मिल सके.

पिज्जा, चिकन और झींगा कॉकटेल भी खाया

नवंबर 2023 में द न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, सुनीता और बुच अंतरिक्ष में पिज्जा, रोस्ट चिकन और झींगा कॉकटेल का आनंद ले रहे थे. हालांकि, ताजा भोजन सीमित मात्रा में उपलब्ध था, इसलिए इसे पोषण बनाए रखने के लिए नियंत्रित तरीके से दिया जाता था.

ताजे फल और सब्जियां तीन महीने में खत्म

शुरुआत में ISS पर ताजे फल, सब्जियां, रोस्ट चिकन और पिज्जा मौजूद थे, लेकिन तीन महीने में ये खत्म हो गए. इसके बाद, सुनीता और बुच को पाउडर वाला दूध, डिहाइड्रेटेड कैसरोल (सूखा भोजन) और फ्रीज-ड्राई सूप पर निर्भर रहना पड़ा.

पानी की हर बूंद होती है रिसाइकल

ISS पर पानी की कमी न हो, इसके लिए एडवांस्ड फिल्ट्रेशन सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है. अंतरिक्ष यात्री अपने मूत्र और पसीने तक को रिसाइकल कर पीने योग्य पानी में बदलते हैं.

खाने की कमी नहीं होती ISS पर

स्पेस एक्सपर्ट्स का कहना है कि ताजा भोजन की उपलब्धता सीमित हो सकती है, लेकिन खाने की कोई कमी नहीं होती. प्रत्येक एस्ट्रोनॉट के लिए प्रतिदिन लगभग 3.8 पाउंड भोजन उपलब्ध रहता है. इसके अलावा, अप्रत्याशित परिस्थितियों के लिए आपातकालीन खाद्य भंडार भी मौजूद रहता है.

स्पेस में 900 घंटे रिसर्च और 150 प्रयोग किए

नासा के अनुसार, सुनीता और बुच ने ISS पर 900 घंटे से अधिक समय तक वैज्ञानिक रिसर्च की और 150 से ज्यादा वैज्ञानिक प्रयोग किए. इन प्रयोगों से भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों को मदद मिलने की उम्मीद है.

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

मुखवा में पीएम मोदी ने की गंगा पूजा अंसल एपीआई पर कार्रवाई : पिता – पुत्र समेत 5 पर मुकदमा दर्ज ट्रंप ने भारत , चीन समेत देशों पर उच्च शुल्क लगाने का किया ऐलान परिजनों ने कहा – सचिन तो सिर्फ मोहरा , कत्ल के पीछे कोई ओर रूम पर चलो नहीं तो नौकरी छोड़ : नर्सिंग ऑफिसर की पिटाई