चंपावत। चारधाम परियोजना अंतर्गत टनकपुर से पिथौरागढ़ तक निर्मित सड़क में तीन बाईपास चंपावत, लोहाघाट एवं पिथौरागढ़ बाईपास शामिल हैं। परियोजना अंतर्गत अन्य 126 किलोमीटर सड़क पूर्ण बन गई है। तीनों बाईपास के निर्माण के समरेखण हेतु सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार ओवरसाइट कमेटी से अनुमति के बाद ही इन बायपासों का निर्माण हो पाएगा।
शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित समिति चंपावत पहुंची और बाइपास का स्थलीय निरीक्षण किया। कमेटी में अध्यक्ष न्यायमूर्ति(सेवानिवृत्त) एके सीकरी, डॉ. एन बाला, एसके गोयल तथा डी.के शर्मा शामिल हैं। बाईपास के निर्माण के संबंध में स्थानीय सर्किट हाउस में जिला प्रशासन एवं सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक कर बाइपास निर्माण के संबंध में समीक्षा की तथा चंपावत जिला मुख्यालय में बनने वाले बायपास का शक्तिपुर बुंगा क्षेत्र में स्थलीय निरीक्षण भी किया।
बैठक में जिलाधिकारी नवनीत पांडे ने समिति के अध्यक्ष एवं सदस्यों को तीनों बाइपास के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से यह राष्ट्रीय राजमार्ग सीमांत क्षेत्र चीन सीमा तक जाने के कारण इस मार्ग में परिवहन एवं ट्रांसपोर्ट अधिक रहता है। इस कारण लगातार शहरी क्षेत्र में जाम की स्थिति रहती है। इसके मद्देनजर इनका निर्माण आवश्यक है।
वर्तमान में चंपावत नगर के मध्य से सड़क होने के कारण अक्सर जाम की स्थिति रहने के साथ ही अन्य दिक्कतों का सामना सभी को करना पड़ता है। इसी मार्ग से चीन सीमा क्षेत्र तक सेना, अर्धसैन्य बल सहित उस क्षेत्र के वाहनों का आगमन एवं बड़े वाहन चलते हैं। साथ ही प्रसिद्ध आदि कैलाश यात्रा के संचालन के साथ ही पर्यटकों की आवाजाही भी लगातार बढ़ने से चंपावत में जाम की समस्या बढ़ रही है। चंपावत का मास्टर प्लान भी तैयार किया जा रहा है, जिसमें भी बाईपास को शामिल किया गया है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य अभियंता डीके शर्मा ने तीनों बाईपास के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि चंपावत का बाइपास 320 करोड़ की लागत से बनेगा, जो 9.847 किलोमीटर लंबा होगा।
इस दौरान समिति के सदस्य डॉ. संजीव कुमार गोयल, डॉ. एन बाला, पुलिस अधीक्षक अजय गणपति, राष्ट्रीय राजमार्ग के अधीक्षण अभियंता अरुण कुमार पांडे, अधिशासी अभियंता आशुतोष सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।