8 साल की उम्र में हुई शादी, पढ़ने का देखा सपना, ऑटो चलाकर पति ने बना दिया डॉक्टर

आठ साल की उम्र में जब बच्‍चों के हाथों में खिलौना होता है तब रूपा यादव के हाथों में मेहंदी रचा दी गई. जब उसको खेलना चाहिये था तब उसे सात फेरे लेने पड़े पर कहते हैं ना की जिसमें हौसला होता है कुदरत हमेशा उसका साथ देती है. कुछ ऐसा ही हुआ उसके साथ और उस बच्‍ची ने 21 साल की उम्र में नीट में क्‍वालीफाई किया. जी, आठ साल की उम्र में शादी के बाद भी रूपा यादव ने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी. रुपा का सपना एक डॉक्टर बनने का है. 21 साल की उम्र में रुपा ने नीट में आल इंडिया रैंक 2612 पाकर 603 का स्‍कोर बनाया है.

रूपा के पति और देवर पेशे से किसान हैं. दोनो ने शुरुआत से ही रूपा की पढाई में पूरी मदद की. पढाई के खर्च को पूरा करने के लिये रुपा के पति और देवर ने ऑटो रिक्‍शा भी चलाया. रुपा का जन्‍म जयपुर के करेरी गांप में एक किसान परिवार में हुआ था. ससुराल में पति और उनके बड़े भाई ने तमाम सामाजिक बाध्यताओं को दरकिनार करते हुए रूपा की पढ़ाई करवाई.

पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए दोनों ने खेती करने के साथ-साथ ऑटो भी चलाया. रूपा को डॉक्टर बनना था, लेकिन पैसों की तंगी थी, इसलिए पति ने ऑटो चलानी की ठानी,ताकि पत्नी को डॉक्टर बना सके. दो साल कोटा में एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट से कोचिंग करके दिन-रात पढ़ाई की और अब ये बालिका वधु ने नीट-2017 में 603 अंक प्राप्त कर लोगों के बीच मिसाल पेश की. अब रूपा डॉक्टर बन गई है.

रुपा का कहना है कि आठ साल में उसकी शादी तो कर दी गई लेकिन उसने अपने सपनों के बीच शादी को आड़े नहीं आने दिया. उनका कहना है कि वह ना सिर्फ अपनी मेहनत के दम पर डॉक्टर बनी है, बल्कि उसके डॉक्टर बनने के सपनों को पूरा करने में उसके घर वालों का पूरा हाथ है. पति पूरे दिन कमाता रहा वो भी सिर्फ इसलिए ताकि उसकी पत्नी को पढ़ाई में कोई कमी ना रह जाए.

रुपा बचपन से ही पढ़ाई में काफी होशियार थी. उसने 10वीं कक्षा में 84 फीसदी नंबर हासिल किए थे. और अब रुपा ने अपने सपनों को जीते हुए NEET में 603 अंक लाकर अपने डॉक्टर बनने की मंजिल की पहली सीढ़ी कामयाबी से पार कर ली है.

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें