
मध्य प्रदेश में आबकारी विभाग से जुड़े 71 करोड़ रुपये के शराब घोटाले ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। इस घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इंदौर, भोपाल, जबलपुर और मंदसौर समेत कई शहरों में शराब कारोबारियों और पूर्व आबकारी अधिकारियों के ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की है। यह कार्रवाई सोमवार को की गई, जिसमें सीआरपीएफ की टुकड़ियों की मदद से ईडी ने गोपनीयता के साथ दस्तावेजों की जब्ती और पूछताछ की प्रक्रिया को अंजाम दिया।
कैसे सामने आया शराब घोटाला?
इस घोटाले की जड़ें वित्त वर्ष 2015-16 से 2017-18 के बीच की हैं, जब कई शराब ठेकेदारों ने सरकार को मिलने वाले राजस्व में भारी हेरफेर की। आरोप है कि शराब कारोबारियों ने कम राशि के चालान बनाकर जमा किए, जिससे सरकार को करीब 49 करोड़ रुपये का सीधा नुकसान हुआ।
ईडी की गहन जांच में यह आंकड़ा बढ़कर 71 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इस फर्जीवाड़े को अंजाम देने के लिए चालान में शब्दों में लिखी जाने वाली राशि को जानबूझकर खाली छोड़ा जाता था, जिसे बाद में बदलकर लाखों में दिखाया जाता था और जाली प्रतियां आबकारी कार्यालय में जमा कर दी जाती थीं।
छापेमारी कहां-कहां हुई?
- इंदौर : ईडी की 10-12 अधिकारियों की टीम ने सीआरपीएफ के साथ मिलकर एक प्रसिद्ध शराब कारोबारी के ठिकाने पर छापा मारा।
इसके अलावा तुलसी नगर स्थित रिटायर्ड आबकारी अधिकारी सुरेंद्र चौकसे के घर पर भी ईडी की टीम पहुंची और दस्तावेज जब्त किए। - भोपाल, मंदसौर और जबलपुर: इन शहरों में भी शराब ठेकेदारों और आबकारी विभाग से जुड़े अधिकारियों के घरों और दफ्तरों पर दबिश दी गई।
कार्रवाई इतनी गोपनीय रखी गई कि स्थानीय प्रशासन को भी इसकी भनक नहीं लगी।
कई अहम दस्तावेज हुए जब्त
ईडी ने छापेमारी के दौरान चालान रसीदों, बैंकिंग ट्रांजैक्शनों और अन्य वित्तीय दस्तावेजों को जब्त किया है, जो घोटाले से जुड़े साक्ष्यों को मजबूत करते हैं। जांच एजेंसी ने इन दस्तावेजों के जरिए पूरे रैकेट की परतें खोलने की तैयारी कर ली है।
जल्द हो सकती है प्रेस कॉन्फ्रेंस
ईडी की यह कार्रवाई अभी पूरी तरह से गोपनीय रखी गई है। हालांकि, सूत्रों की मानें तो ईडी जल्द ही इस पूरे मामले को लेकर प्रेस ब्रीफिंग कर सकती है, जिसमें घोटाले में शामिल बड़े नामों का खुलासा किया जा सकता है।