
लखनऊ: 69000 शिक्षक भर्ती मामले में एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो पाई है। मंगलवार को निर्धारित सुनवाई समयाभाव के कारण टल गई और अब इसे मार्च के पहले सप्ताह में सुना जाएगा। इस देरी से अभ्यर्थी हताश और परेशान हैं, खासकर वे जो आरक्षित वर्ग से संबंधित हैं।
अमरेंद्र पटेल, जो आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे हैं, ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार की ओर से कोई ठोस पहल नहीं हो रही, जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए बार-बार लंबी तारीखें मिल रही हैं। उन्होंने कहा, “हम चार वर्षों से लगातार संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन हमारी समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।”
अभ्यर्थियों का कहना है कि हाई कोर्ट की डबल बेंच ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन सरकार की लापरवाही के कारण मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया। इससे पहले भी अभ्यर्थियों ने 640 दिनों तक धरना-प्रदर्शन और भूख हड़ताल की थी। वे मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के आवासों का घेराव भी कर चुके हैं।
अमरेंद्र पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर गठित कमेटी की रिपोर्ट और हाई कोर्ट का फैसला उनके पक्ष में हैं, फिर भी उन्हें उनके अधिकार नहीं मिल रहे हैं। 69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा का आयोजन 2018 में हुआ था, और अभ्यर्थियों का संघर्ष अब भी जारी है।










