
पटना। बिहार की राजनीति में धन और बाहुबल का बोलबाला जारी है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिंक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ताजा जारी रिपोर्ट के अनुसार बिहार विधानसभा में चुनाव लड़ रहे 519 उम्मीदवार यानी 40 प्रतिशत करोड़पति हैं। जिनकी औसत संपत्ति 3.26 करोड़ है। वहीं, शैक्षिक रूप से 519 उम्मीदवार (40 प्रतिशत) केवल 12वीं तक ही पढ़े हैं, जबकि 651 (50 प्रतिशत) स्नातक या स्नातकोत्तर हैं। कुल उम्मीदवारों में से केवल 9 प्रतिशत महिलाएं हैं।
प्रमुख नेताओं और मंत्रियों का विवरण :-
सम्राट चौधरी : मुगेंर के तारापुर से चुनाव लड़ रहे उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने 11.5 करोड़ की संपत्ति घोषित की है, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से छह गुना अधिक है। उनके पास 9.29 करोड़ की अचल संपत्ति और कामराज विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि है। उनकी पत्नी ममता ने 2024-25 12.73 लाख कमाए, जिनकी कुल संपत्ति 1.35 करोड़ है। दंपति के पास कुल मिलाकर 400 ग्राम सोना, 500 ग्राम चांदी, 7 लाख की एक बोलेरो कार और दो लाइसेंसी हथियार, एक राइफल और एक रिवॉल्वर, कुल मिलाकर 6 लाख की संपत्ति है।
विजय कुमार सिन्हा : लखीसराय से चुनाव लड़ रहे दूसरे उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने 1.01 करोड़ की चल संपत्ति और 3.2 करोड़ की अचल संपत्ति घोषित की है। उनकी पत्नी सुशीला देवी 2.81 करोड़ की चल संपत्ति और 4.59 करोड़ की अचल संपत्ति के साथ उनसे आगे हैं। उनके पति के पास 90 ग्राम सोने की तुलना में उनके पास 450 ग्राम सोना भी है। परिवार के गैराज में एक महिंद्रा एक्यूवी-700 और एक बोलेरो शामिल है, जबकि दंपति पर कुल मिलाकर लगभग 22.65 लाख का कर्ज है।
प्रेम कुमार : गया शहर से चुनाव लड़ रहे वरिष्ठ भाजपा नेता प्रेम कुमार ने 3.16 करोड़ की संपत्ति घोषित की है। उनके और उनकी पत्नी प्रभावती देवी के पास कुल मिलाकर 1 किलो से ज़्यादा सोना और 10.5 किलो चांदी के अलावा 8.36 लाख की एक टाटा सफारी भी है। उनके पास 10 लाख मूल्य की तीन लाइसेंसी बंदूकें भी हैं।
रेणु देवी : बेतिया से चुनाव लड़ रही मंत्री रेणु देवी ने 5.5 करोड़ की संपत्ति घोषित की है, जिसमें पटना, बेतिया और कोलकाता की संपत्तियां शामिल हैं। उनके पास 510 ग्राम सोना, दो कारें (इनोवा और स्कॉर्पियो) और 1.3 लाख से ज़्यादा मूल्य की लाइसेंसी बंदूकें हैं। उन पर कुल 5.46 लाख का कर्ज़ है।
मंगल पांडे: सीवान सदर से भाजपा नेता मंगल पांडे पर तीन आपराधिक मामले दर्ज हैं। उनकी कुल संपत्ति 2.86 करोड़ है, जो उनकी पत्नी के साथ साझा की गई है। उनके पास कुल मिलाकर लगभग 1 किलो सोना, 7 किलो चांदी, एक टाटा सफारी और दो आग्नेयास्त्र हैं।
सुनील कुमार : बिहारशरीफ के विधायक और मंत्री डॉ. सुनील कुमार की संपत्ति केवल पांच साल में 11.5 करोड़ से बढ़कर 17.5 करोड़ हो गई। उनकी आय एक साल में छह गुना बढ़ गई, 2023-24 में 28.59 लाख से बढ़कर 2024-25 में 1.67 करोड़ हो गई। उन पर छह आपराधिक मामले चल रहे हैं और उनके पास एक इनोवा, कई सोने के आभूषण और आग्नेयास्त्र हैं।
नीरज कुमार सिंह बबलू : छातापुर से नीरज कुमार सिंह बबलू 11.97 करोड़ की संपत्ति के साथ संपत्ति सूची में सबसे ऊपर हैं।
पत्नी और पूर्व एमएलसी नूतन सिंह के पास भी 7.42 करोड़ की संपत्ति है। दंपति के पास लगभग 760 ग्राम सोना, 2.7 किलो चांदी और एक फॉर्च्यूनर सहित कई लग्जरी गाड़ियां हैं।
जीवेश मिश्रा (जाले) – 2 करोड़ की संपत्ति, 3 आपराधिक मामले, 750 ग्राम सोना।
संजय सरावगी (दरभंगा) – 4 करोड़ की संपत्ति, 70 लाख का सोना।
नितिन नवीन (बांकीपुर) – 1.59 करोड़ की संपत्ति, 5 आपराधिक मामले, 2 कारें।
नीतीश मिश्रा (झंझारपुर) – 4.92 करोड़ की संपत्ति, मंत्री बनने के बाद आय में गिरावट।
कृष्ण कुमार मंटू (अमनौर) – 7 करोड़ की संपत्ति, 5 आपराधिक मामले, भारी कर्ज।
विजय कुमार मंडल (बांका) – 2 करोड़ की संपत्ति, कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं, राइफल के मालिक।
राजू सिंह (साहेबगंज) – 10 आपराधिक मामले, 11 करोड़ की संपत्ति, दो लग्जरी कारें और पेट्रोल पंप के मालिक।
बिजेंद्र यादव (सुपौल) – 4 करोड़ की संपत्ति, साफ-सुथरा रिकॉर्ड, कोई वाहन नहीं।
विजय कुमार चौधरी (समस्तीपुर) – 1.79 करोड़ की संपत्ति, केवल एक ऑल्टो कार के मालिक।
महेश्वर हजारी (कल्याणपुर) – 4 करोड़ की संपत्ति, एसबीआई से होम लोन लिया है।
श्रवण कुमार (नालंदा) – 1.7 करोड़ की संपत्ति, राइफल और रिवॉल्वर के मालिक।
लेशी सिंह (धमदाहा) – 2.22 करोड़ की संपत्ति, 2 ट्रक और 3 कारों के मालिक।
सुमित सिंह (चकाई) – 7 करोड़ की संपत्ति, पत्नी अमीर, दोनों के पास लाइसेंसी हथियार हैं।
मदन सहनी (बहादुरपुर) – 3 करोड़ की संपत्ति, 79 लाख का कर्ज़, तीन गाड़ियों के मालिक।
शीला मंडल (फुलपरास) – 3.59 करोड़ की संपत्ति, कोई कार नहीं, 3 किलो चांदी की मालिक।
रत्नेश सदा (सोनबरसा) – 2.22 करोड़ की संपत्ति, पति-पत्नी दोनों कर्ज़ में।
एडीआर की रिपाेर्ट ने एक बार फिर बिहार में अपराध, धन और राजनीति के बीच गहरे गठजोड़ को उजागर किया है। पहले चरण के लगभग एक-तिहाई उम्मीदवारों पर गंभीर आरोप हैं और 10 में से चार करोड़पति हैं। जैसे-जैसे राज्य चुनावों की ओर बढ़ रहा है, मतदाताओं के सामने एक कठिन सवाल है कि विकास को प्राथमिकता दें या सत्ता-समर्थित राजनीतिक ताकत को।















