
मध्यप्रदेश के उज्जैन में आयोजित विक्रम व्यापार मेला इस साल जबरदस्त सफल रहा। महाशिवरात्रि से शुरू होकर 64 दिनों तक चला यह भव्य आयोजन न सिर्फ भीड़ और बिक्री के लिहाज से ऐतिहासिक रहा, बल्कि इसने ग्वालियर मेले के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए।
175 करोड़ का राजस्व, 35 हजार गाड़ियां बिकीं
इस बार मेले में 35,000 से अधिक वाहनों की बिक्री हुई, जिससे शासन को 175 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। खास बात यह रही कि ग्राहकों को भी इतनी ही राशि की परिवहन शुल्क में छूट मिली — यानी ग्राहक और सरकार दोनों को फायदा हुआ।
लग्जरी कारों की भी जबरदस्त डिमांड
आरटीओ संतोष मालवीय के अनुसार, इस साल न केवल आम गाड़ियों की बिक्री हुई, बल्कि बीएमडब्ल्यू और मर्सिडीज जैसी लग्जरी कारें भी खूब बिकीं। इतना ही नहीं, लोगों में वीआईपी नंबरों को लेकर भी खासा उत्साह रहा। एक वीआईपी नंबर की नीलामी 9 लाख रुपये में हुई।
बाइक से लेकर ओमनी बस तक, सब कुछ बिका
मेले में मिलने वाली 50% तक की छूट ने लोगों को बड़ी संख्या में आकर्षित किया।
बिकने वाले वाहनों में शामिल थे:
- दोपहिया वाहन (बाइक, स्कूटर)
- चार पहिया गाड़ियाँ (सेडान, एसयूवी)
- प्राइवेट ओमनी बस
- हल्के व्यावसायिक वाहन
पिछले साल से दोगुनी बिक्री, ग्वालियर मेला पीछे छूटा
जिला कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष (2024) विक्रम मेला में 22,000 वाहनों की बिक्री हुई थी, जबकि इस बार यह आंकड़ा 35,000 पार कर गया। इसने ग्वालियर व्यापार मेले को भी पीछे छोड़ दिया है, जो अब तक सबसे बड़े मेले में गिना जाता था।
मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप मेले में छूट का फायदा
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर इस मेले में परिवहन शुल्क में भारी छूट दी गई थी। इसका सीधा लाभ प्रदेशवासियों को मिला और उज्जैन मेला प्रदेशभर के लिए एक आकर्षण का केंद्र बन गया।