
नैनीताल : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक 33 वर्षीय मुस्लिम महिला और उसके 23 वर्षीय प्रेमी पति को सुरक्षा देने का आदेश जारी किया है। महिला ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर बताया था कि उसे अपनी दूसरी शादी के बाद परिजनों से जान का खतरा है। मंगलवार को इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने सुनवाई की।
तलाकशुदा महिला, तीन बच्चों की मां
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि महिला की यह दूसरी शादी है। पहले पति से तलाक हो चुका है और उसके तीन बच्चे भी हैं। महिला ने बाद में अपने से 10 साल छोटे युवक से प्रेम विवाह कर लिया। दोनों पक्षों ने कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होकर यह जानकारी साझा की।
कोर्ट के सामने सुरक्षा की गुहार
प्रेमी युगल ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने अपनी मर्जी से शादी की है लेकिन अब उन्हें परिजनों से धमकियाँ मिल रही हैं। उन्होंने कोर्ट से गुहार लगाई कि उन्हें जानमाल की सुरक्षा दी जाए क्योंकि अब तक स्थानीय पुलिस द्वारा उनकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
एसएसपी को सुरक्षा देने के निर्देश
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एसएसपी नैनीताल को निर्देश दिए कि युगल को पूर्ण सुरक्षा दी जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि किसी भी स्थिति में उनकी जान को खतरा न हो।
कोर्ट ने याचिका को निस्तारित करते हुए कहा कि व्यस्कों द्वारा आपसी सहमति से किए गए विवाह को कानूनी मान्यता प्राप्त है, और उन्हें संविधान के तहत संरक्षण मिलना चाहिए।
मामला संवेदनशील, पर व्यक्तिगत स्वतंत्रता सर्वोपरि
यह मामला एक बार फिर इस बात को रेखांकित करता है कि जब दो व्यस्क अपनी मर्जी से जीवनसाथी चुनते हैं, तो समाज और परिवार की असहमति के चलते उनका जीवन संकट में आ सकता है। ऐसे मामलों में संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार – जैसे जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा – सर्वोच्च माने जाते हैं।