
वाराणसी सिटी से गोरखपुर आ रही 15132 नंबर की गोरखपुर एक्सप्रेस के वातानुकूलित तृतीय श्रेणी के कोचों में यात्रियों को गंदे तकिये बांटने की घटना ने रेलवे प्रशासन की किरकिरी कर दी है। इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए रेलवे ने संबंधित कोच अटेंडेंट के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की है।
रविवार की रात वाराणसी सिटी के प्लेटफार्म नंबर तीन पर खड़ी गोरखपुर एक्सप्रेस के कोच नंबर बी वन में जब यात्रियों ने रखे गए तकिये देखे, तो वे दंग रह गए। जबकि बेडरोल के पैकेट में चादर और कवर साफ थे, लेकिन तकिए गंदे थे।
यात्री कोच अटेंडेंट की तलाश में थे, ताकि वे अपनी शिकायत दर्ज करवा सकें और तकिये को बदला जा सके, लेकिन अटेंडेंट लंबे समय तक गायब रहे। जब ट्रेन रात 10:30 बजे गोरखपुर के लिए रवाना हुई, तब थके हुए यात्री बर्थ पर चादर बिछाकर सोने लगे। कुछ समय बाद जब अटेंडेंट आए, तो यात्रियों ने उन पर नाराजगी जाहिर की।
अटेंडेंट ने शिकायत पुस्तिका देने से मना कर दिया, और केवल दो साफ तकिये लेकर आए, जिन्हें यात्रियों ने लेने से इनकार कर दिया। अंततः यात्री बिना तकिये के ही गोरखपुर तक का सफर पूरा करने को मजबूर हो गए। यह देखने में आया कि अधिकतम एक साल में तकिये बदलने का नियम नजरअंदाज किया गया है, और यात्रियों को कोविड काल के दौरान बने अप्रैल 2022 के तकिये का उपयोग करने के लिए मजबूर किया गया है।
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, पंकज कुमार सिंह ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया कि गंदे तकिये बदल दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि संबंधित कर्मी को सेवाओं से हटा दिया गया है और बेडरोल की व्यवस्था करने वाली फर्म पर न्यूनतम पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा सुपरवाइजर को काउंसिलिंग के साथ चेतावनी दी गई है। उन्होंने यह भी बताया कि गंदे या फेडेड लिनेन और तकियों को हटाने के लिए छह दिन का एक विशेष अभियान प्रारंभ किया गया है।