
नई दिल्ली : अलग-अलग राज्यों से बूथ लेवल अफसरों (BLO) की मौत की चिंताजनक खबरें सामने आ रही हैं। कई मामलों में परिजनों ने आरोप लगाया है कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान अत्यधिक काम का दबाव इन मौतों की वजह बना। मामले ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है और कांग्रेस ने सरकार को सीधे कटघरे में खड़ा किया है। पार्टी का आरोप है कि एसआईआर प्रक्रिया जल्दबाजी में लागू की गई, जिसके चलते बीएलओ मानसिक दबाव का सामना कर रहे हैं।
खड़गे का गंभीर आरोप—‘बीजेपी की वोट चोरी अब जानलेवा’
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने X पर पोस्ट करते हुए आरोप लगाया कि “19 दिनों में एसआईआर के दौरान 16 BLO की मौत हो गई है। काम का बोझ पोलिंग अफसरों को आत्महत्या करने पर मजबूर कर रहा है।” उन्होंने कहा कि असल संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। खड़गे ने मृतक कर्मचारियों के परिवारों के प्रति संवेदना जताते हुए सवाल उठाया—“इन परिवारों को न्याय कौन देगा?”
उन्होंने चुनाव आयोग पर भी निशाना साधते हुए कहा कि आयोग इस स्थिति पर “मूकदर्शक” बना हुआ है, जबकि भाजपा “चोरी की सत्ता का मजा ले रही है।”
‘जल्दबाजी में लागू किया गया एसआईआर, नोटबंदी की याद’
खड़गे ने कहा कि एसआईआर को बिना उचित योजना के अचानक लागू कर देना नोटबंदी और कोरोना लॉकडाउन जैसे निर्णयों की याद दिलाता है। उनका आरोप है कि भाजपा की “सत्ता की भूख” संस्थाओं को कमजोर कर रही है और लोकतंत्र के स्तंभों को खतरा पैदा हो गया है।
बीएलओ की आत्महत्या का मामला बढ़ा विवाद
शनिवार को पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में एसआईआर कार्य में लगी एक महिला BLO अपने घर में मृत मिली। परिजनों का दावा है कि वह भारी तनाव में थी और काम के दबाव ने उसे आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया।
कांग्रेस का कहना है कि अगर एसआईआर और “वोट चोरी” पर चुप्पी जारी रही, तो लोकतंत्र को अपूरणीय क्षति हो सकती है।












