वंदे मातरम के 150 साल, संसद में कल विशेष चर्चा; PM मोदी करेंगे शुरुआत

New Delhi : संसद के शीतकालीन सत्र में आज इतिहास रचने वाला दिन होने जा रहा है। राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 8 दिसंबर को संसद के दोनों सदनों में एक विशेष चर्चा का आयोजन किया गया है। इस दौरान वंदे मातरम के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व पर विस्तृत विचार-विमर्श होगा।
यह पहली बार है जब संसद में राष्ट्रीय गीत पर इस तरह का विस्तृत और समर्पित विमर्श होने जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी करेंगे लोकसभा में बहस की शुरुआत

एजेंसी एएनआई के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोपहर 12 बजे लोकसभा में इस विशेष चर्चा की शुरुआत करेंगे।
वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बहस के समापन का नेतृत्व करेंगे, जिसमें वे राष्ट्रीय गीत के ऐतिहासिक संदर्भ, स्वतंत्रता संग्राम में उसकी भूमिका और आज के सामाजिक-राष्ट्रीय परिदृश्य में उसकी प्रासंगिकता पर विचार रखेंगे।

राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह कर सकते हैं चर्चा की शुरुआत

राज्यसभा में भी इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा की तैयारी है। माना जा रहा है कि गृह मंत्री अमित शाह राज्यसभा में बहस की शुरुआत करेंगे और राष्ट्रीय भावनाओं को एकसूत्र में पिरोने वाले इस गीत की विरासत पर प्रकाश डालेंगे।

कांग्रेस के आठ नेता भी रखेंगे अपनी बात

वंदे मातरम पर होने वाली इस बहस में सत्ता पक्ष के साथ कांग्रेस के 8 प्रमुख नेता भी वक्तव्य देंगे। इस सूची में शामिल हैं

गौरव गोगोई (उप नेता प्रतिपक्ष, लोकसभा)

प्रियंका वाड्रा

दीपेंद्र हुड्डा

बिमोल अकोइजाम

प्रणीति शिंदे

प्रशांत पडोले

चमाला रेड्डी

ज्योत्सना महंत

इन नेताओं के वक्तव्य राष्ट्रीय गीत की वैचारिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को और समृद्ध करेंगे।

वंदे मातरम: 150 साल की गौरवशाली यात्रा
कब और कैसे हुआ जन्म?

‘वंदे मातरम’ को 7 नवंबर 1875 को बंकिम चंद्र चटर्जी ने अपनी साहित्यिक पत्रिका ‘बंगदर्शन’ में पहली बार प्रकाशित किया था।

बाद में 1882 में वे इसे अपने प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ में शामिल किया।

संगीत और स्वतंत्रता आंदोलन से संबंध

गीत को रवींद्रनाथ टैगोर ने संगीतबद्ध किया।

आजादी की लड़ाई के समय यह गीत स्वतंत्रता सेनानियों का प्रेरक मंत्र बन गया।
“वंदे मातरम” की गूंज रैलियों, आंदोलनों और सभाओं में नई ऊर्जा भरती थी।

राष्ट्रीय गीत का दर्जा

24 जनवरी 1950 को भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया एक ऐसा गीत जिसने देश की अस्मिता, स्वाभिमान और राष्ट्रीय चेतना को नई ऊंचाई दी।

शीतकालीन सत्र: 1 से 19 दिसंबर

वर्तमान शीतकालीन सत्र, जो 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा, अपने भीतर कई महत्वपूर्ण विधायी कार्यों के साथ राष्ट्रीय गीत की 150वीं वर्षगांठ जैसी ऐतिहासिक चर्चा को भी समेटे हुए है।

 

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