हिमाचल में भूस्खलन से 1,217 सड़कें बंद, जनजीवन ठप

शिमला। हिमाचल प्रदेश में लगातार कई दिनों की बारिश के बाद शुक्रवार को मौसम तो साफ हुआ, लेकिन मुश्किलें जस की तस बनी हुई हैं। राज्यभर में जगह-जगह भूस्खलन और बाढ़ से 1,217 सड़कें, 1,868 बिजली ट्रांसफार्मर और 669 पेयजल योजनाएं ठप पड़ी हैं। केवल चंबा जिले में 187, कुल्लू में 230, मंडी में 280, शिमला में 261 और सिरमौर में 70 सड़कें अब भी बंद हैं।

भरमौर में फंसे मणिमहेश यात्रियों का शुक्रवार सुबह से एयरलिफ्ट शुरू हुआ। वायुसेना के चिनूक हेलिकॉप्टरों की मदद से प्रति उड़ान 52 से 60 श्रद्धालुओं को सुरक्षित चंबा लाया गया। हिमाचल में आपदा के दौरान पहली बार चिनूक का इस्तेमाल किया गया है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी खुद ग्राउंड जीरो से राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन सुबह 6:30 बजे से चल रहा है और जल्द ही सभी श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा।

इसी दौरान चौबिया क्षेत्र में हेलिकॉप्टर के जरिए 35 भेड़पालकों तक राशन पहुंचाया गया। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि मणिमहेश यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए एसओपी तैयार की जाएगी और आगे से लंगर समितियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।

मौसम विभाग के अनुसार राज्य के विभिन्न हिस्सों में 11 सितंबर तक बारिश का दौर जारी रह सकता है। 8 और 9 सितंबर को कुछ स्थानों पर भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। बीती रात मंडी के बग्गी में 61.3 मिमी और करसोग में 24.2 मिमी बारिश दर्ज की गई।

इस बीच कुल्लू में गुरुवार सुबह इनर अखाड़ा बाजार के मठ क्षेत्र में दो घर भूस्खलन की चपेट में आ गए। इसमें 10 लोग मलबे में दब गए, जिनमें से एक की मौत हो गई, तीन लोगों को बचा लिया गया और छह अब भी लापता हैं। मंगलवार देर रात भी भूस्खलन से दो लोग दब गए थे, जिनका अब तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है। एनडीआरएफ की टीम लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है।

कालका-शिमला नेशनल हाईवे-5 भी कई जगह भूस्खलन से बाधित है, जिससे यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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