इतिहास के पन्नों में 08 अप्रैल: भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में फेंका बम, हिल गए अंग्रेज

इतिहास के पन्नों में 08 अप्रैल। देश के स्वतंत्रता आंदोलन में 08 अप्रैल की तारीख का ऐतिहासिक महत्व है। हुआ यह था कि 08 अप्रैल 1929 को दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में वायसराय पब्लिक सेफ्टी बिल पेश कर रहे थे। इसके बाद इस बिल को कानून बनना था। दर्शक दीर्घा खचाखच भरी हुई थी। जैसे ही बिल पेश किया गया, सदन में जोरदार विस्फोट हुआ। दो लोगों ने इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगते हुए सदन के बीच में बम फेंका था।

यह बम शहीद-ए-आजम भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने फेंके थे। बम फेंकते समय इस बात का भी ध्यान रखा गया कि इससे किसी की जान का नुकसान न हो। जैसे ही बम फटा, जोरदार की आवाज हुई और असेंबली हॉल में अंधेरा छा गया। पूरे भवन में अफरातफरी मच गई। घबराए लोगों ने बाहर भागना शुरू कर दिया। इस विस्फोट से अंग्रेज हिल गए।

हालांकि, बम फेंकने वाले दोनों क्रांतिकारी वहीं खड़े रहे। इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते हुए उन्होंने कुछ पर्चे भी सदन में फेंके। इनमें लिखा था- बहरे कानों को सुनाने के लिए धमाकों की जरूरत पड़ती है। कुछ देरबाद दोनों ने खुद को पुलिस के हवाले कर दिया। इस कारनामे के बाद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त भारतीय युवाओं के हीरो बन गए। मुकदमा चला। दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। बटुकेश्वर दत्त को काला पानी जेल भेज दिया गया। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को सांडर्स की हत्या का भी दोषी माना गया। 07 अक्टूबर 1930 को फैसला आया कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को 24 मार्च 1931 के दिन फांसी पर लटकाया जाए, लेकिन जनता के गुस्से से डरी अंग्रेज सरकार ने 23-24 मार्च की आधी रात में ही इन वीरों को फांसी दे दी। और मंगल पांडेण्य को भी 08 अप्रैल 1857 को फांसी दी गई थी। वो ब्रिटिश भारत की बैरकपुर रेजिमेंट के सिपाही थे। 1857 के संग्राम में मंगल और उनके साथियों की बगावत का अहम रोल था। उन्हें अंग्रेजी अफसरों पर गोली चलाने, हमला करने और हत्या करने का दोषी ठहराया गया था।

महत्वपूर्ण दिवस

1820: दुनिया की सबसे मशहूर मूर्तियों में से एक वीनस डि मेलो की खोज। 1857ः भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों पर पहली गोली चलाने वाले मंगल पांडेण्य को फांसी दी गई।

1929ः भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली सेंट्रल असेंबली में बम फेंका।

1950ः भारत और पाकिस्तान के बीच लियाकत-नेहरू समझौता।

1988ः जनरल वेंग शांग कुन चीन के राष्ट्रपति निर्वाचित।

1999ः ड्रोर ओरपाज और कारमिट सुबेरा (इजराइल) ने 30 घंटे 45 मिनट तक लगातार चुंबन लिए जाने का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नया कीर्तिमान दर्ज।

1999ः चीन में धान की भूसी से बिजली का उत्पादन प्रारम्भ।

2000ः गुटनिरपेक्ष देशों के विदेशमंत्रियों का 13वां सम्मेलन कोलंबिया के कार्टिजेना शहर में प्रारम्भ।

2001ः भारत-इंग्लैंड राउंड टेबल बैठक सरिस्का में हुई। इसमें बांग्लादेश में हिन्दुओं की सम्पत्ति लौटाने के लिए विधेयक पारित किया गया।

2002ः अमेरिकी अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक प्रक्षेपित।

2003ः अमेरिकी सेना ने बगदाद में बंकर भेदी बम बरसाए। लेकिन सद्दाम का अता-पता नहीं।

2005ः पोप जॉन पॉल (द्वितीय) के निधन के छह दिन बाद वेटिकन में उनका अंतिम संस्कार।

2006ः ल्यूकाशेंको ने तीसरी बार बेलारूस के राष्ट्रपति पद की शपथ ली।

2008ः ईरान ने अपने यूरेनियम प्लांट में 6000 नए सेंट्री फ्यूज लगाने का कार्य शुरू किया।

2008ः पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्लांट में गैस लीक होने से दो लोगों की मृत्यु।

2013ः ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गेरेट थैचर का लंदन में निधन। वह ग्रेट ब्रिटेन ही नहीं, किसी भी यूरोपीय देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं और 20वीं शताब्दी में ब्रिटेन की एकमात्र प्रधानमंत्री थीं। उन्होंने तीन बार लगातार यह पद संभाला।

जन्म

1859: जर्मन फिलॉस्फर एडमंड हुसेरेल। उन्हें फिनॉमलॉजी का जनक माना जाता है।

1924: शास्त्रीय संगीत गायक कुमार गंधर्व।

1938: संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान।

निधन

1894: भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के रचयिता, कवि और उपन्यासकार बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय।

1973: स्पेन के चित्रकार पाब्लो पिकासो। उन्हें 20वीं शताब्दी के सबसे प्रभावी चित्रकारों में गिना जाता है।

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