दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे कल सामने आ गए हैं. एक बार फिर दिल्ली की जनता ने सीएम अरविंद केजरीवाल की विकास वाली राजनीति पर मुहर लगा दी है. आम आदमी पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर ली है. लेकिन इन सबके बावजूद चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद भगवान हनुमान ने दस्तक जरूर दे दी है. दिल्ली चुनाव में हनुमान को लेकर जबरदस्त सियासत देखने को मिली हैं. अब लेखक चेतन भगत ने भी इसी सियासत में भाग ले लिया हैं. 
आम आदमी पार्टी की अप्रत्याशित जीत के बाद चेतन भगत ने ट्वीट कर कहा है कि आम आदमी पार्टी हर बार ‘लिबरल परीक्षा’ नहीं देती है. वो कहते हैं ‘ आम आदमी पार्टी शुरुआत में लिबरल जरूर थी लेकिन वो भी हर बार ये अग्निपरीक्षा नहीं दे सकती. उनके नेता तो अब हनुमान चालीसा पढ़ते हैं. अब कोई भी लिबरल इंसान तो इसे सही नहीं कह सकता. लेकिन फिर भी वो जीत गए. इसका मतलब साफ है कि अगर वो इन लिबरल लोगों की बात मान लेते तो ये चुनाव नहीं जीत पाते’.
अब चेतन भगत के इस ट्वीट के बाद बॉलीवुड अभिनेत्री सोनम कपूर ने उनकी सोच पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने अपने पति आनंद अहूजा का जिक्र करते हुए चेतन पर निशाना साधा. वो ट्वीट करती हैं ‘चेतन मेरे पति रोजाना हनुमान चालीसा पढ़ते हैं. आपका विश्वास ये तय नहीं कर सकता कि आपका राजनीतिक झुकाव किस तरफ होगा. मुझे ना तो ये लॉजिक समझ आया है और ना ही आपका ट्वीट. मैं हिंदू धर्म में भी मानती हूं और अपने आप को लिबरल भी कहती हूं’.
सोनम कपूर के ट्वीट के बाद चेतन भगत ने फिर से एक ट्वीट किया. उन्होंने सोनम को अपना स्टैंड समझाने की कोशिश की. उन्होंने लिखा ‘ ये बहुत अच्छी बात है सोनम. आप बिल्कुल लिबरल हैं. लेकिन फिर भी कुछ ऐसे लिबरल हैं जिन्हें लगता है कि राजनीति में किसी धर्म की तरफ झुकाव होना गलत बात है. वही लोग इस चीज का भी विरोध करते हैं’. अब चेतन भगत और सोनम कपूर के बीच दिखा ये ट्विटर वॉर हैरान नहीं करता है. दोनों चेतन और सोनम की अपनी-अपनी विचारधारा है और वो किसी से छिपी भी नहीं है. सोनम कपूर ने कई मौकों पर मोदी सरकार पर ये कहकर निशाना साध रखा है कि ये सरकार धर्म के नाम पर लोगों को बांटती है. ऐसे में सोनम कपूर की चेतन भगत के साथ इस मुद्दे पर तकरार होना लाजिमी हो जाता है.
AAP learnt to be liberal, but not so much to fall into the trap of giving constant liberal agniparikshas.
Their leader read Hanuman Chalisa. Liberal purists would have said this is wrong.
But he won. If he listened to liberal purists he never would.
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) February 11, 2020















