साइबर जालसाजों ने अब ठगी का नया तरीका खोज निकाला है। विभिन्न राष्ट्रीयकृत बैंकों के नाम से खाताधरकों के मोबाइल पर मैसेज और गैरजरूरी लिंक भेजकर उन्हें अपने जाल में फंसा रहे हैं। ग्राहक जैसे ही इन नंबरों पर कॉल बैक करता है या फिर लिंक को खोलता है, वैसे ही उसका सारा बैंक ब्यौरा ठगों के पास चला जाता है। इस प्रकार साइबर अपराधी खाताधारकों की रकम निकाल लेते हैं। लखनऊ में इस तरह से करीब आधा दर्जन लोग साइबर ठगों के जाल में फंस चुके हैं। ताजा मामले में साइबर ठगों ने छह लोगों के बैंक खातों से एक लाख छह हजार रुपये पार कर दिया है।
ठग लगातार जालसाजी के तरीके बदल रहे हैं। जालसाज स्टेट बैंक आफ इंडिया के नाम से लोगों को मैसेज भेज रहे हैं। मैसेज में केवाइसी अपडेट नहीं करने पर खाता बंद करने की धमकी दे रहे हैं। झांसे में आकर मैसेज में दिए गए फोन नंबर पर लोग काल करते हैं। इसके बद ठग लोगों को बातों में उलझाकर उनके खाते की जानकारी लेकर रुपये पार कर दे रहे हैं। साइबर क्राइम सेल में इन दिनों ऐसी शिकायतों की भरमार है।
इन लोगों के साथ हुई आनलाइन ठगीः एलडीए कालोनी सेक्टर जी निवासी अरविंद यादव के एटीएम कार्ड का क्लोन बनाकर ठगों ने 36 बार में खाते से 15,924 रुपये पार कर दिए। इसी तरह मोतीनगर निवासी चित्रा श्रीवास्तव के खाते से 25 हजार, सेक्टर जी, जानकीपुरम निवासी अनुभव गुप्ता के खाते से 5100, प्रियदर्शिनी कालोनी निवासी अंजली अवस्थी के खाते से 11,500, बालागंज निवासी गरिमा के खाते से छह बार में 49 हजार रुपये निकल गए। पीड़ितों ने एफआइआर दर्ज कराकर कार्रवाई की मांग की है। साइबर पुलिस इन अपराधियों का पता खोजने में जुटी है। साइबर ठग लगातार नए-नए सर्वर से लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। ऐसे में पुलिस भी उन तक नहीं पहुंच पा रही है।
दूसरे राज्यों में बैठकर ठगीः ज्यादातर साइबर ठग अपने प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों के लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। ताकि पुलिस भी उन तक नहीं पहुंच पाए। वह लगातार अपना आइपी एड्रेस भी परिवर्तित करते रहते हैं। ऐसे में साइबर पुलिस की पकड़ से वह बाहर हैं और रोज नए-नए ग्राहक इन ठगों के जाल में फंसकर अपनी मोटी कमाई की रकम गंवाने को मजबूर हैं।