78 में से 23 मुस्लिम और 15 ब्राह्मण को टिकट
बसपा के सामने चुनौती
बरेली। लोकसभा चुनाव 2024 के चार चरण का चुनाव संपन्न हो चुका है। मगर, यूपी में हाथी की चाल रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति के जानकारों का कहना है कि यूपी की अधिकांश लोकसभा सीटों पर इंडिया और एनडीए गठबंधन के प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला है। बसपा के हाथी की सुस्त चाल इंडिया गठबंधन के अधिकांश प्रत्याशियों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है, तो वहीं कुछ सीट पर एनडीए के प्रत्याशियों को भी फायदा मिलेगा। हालांकि, बसपा ने यूपी में 78 लोकसभा सीट के प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। 23 मुस्लिम और 15 ब्राह्मण समाज के प्रत्याशियों को उतारा है, जबकि 2019 लोकसभा चुनाव में सिर्फ 6 मुस्लिम को टिकट दिए थे। मगर, 23 और 15 टिकट देने के बाद भी किसी भी सीट पर मुस्लिम और ब्राह्मण मतदाता एक राय होकर बसपा के पक्ष में मतदान करते नजर नहीं आ रहे हैं। कुशीनगर और देवरिया लोकसभा सीट पर बसपा ने प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया है। यहां प्रत्याशियों के ऐलान का इंतजार है। बसपा का दलित वोट भी इस चुनाव में खिसकता नजर आ रहा है।
इंडिया गठबंधन में शामिल होने का था ऑफर
विपक्षी दलों ने लोकसभा चुनाव 2024 का सियासी रण जीतने की कोशिश में इंडिया बनाया था। इसमें करीब 26 दल हैं, तो वहीं केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा के एनडीए में करीब 38 दल हैं। मगर, हर किसी की निगाह बसपा प्रमुख मायावती पर लगी थी। उनको इंडिया गठबंधन में शामिल होने के लिए काफी कोशिश की गई। मगर, बसपा प्रमुख मायावती ने हर बार इंडिया गठबंधन में जाने से इंकार किया। उन्होंने अपने 68वें जन्मदिन के मौके पर पूरी तरह से इंडिया में शामिल होने को खारिज कर दिया था। मायावती इंडिया के साथ मिलकर चुनाव लड़ती हैं, तो बसपा और इंडिया दोनों को फायदा होता, लेकिन उनके अलग लड़ने से इंडिया से अधिक बसपा को अधिक नुकसान होता नजर आ रहा है।
अब राष्ट्रीय दल का दर्जा बचाना चुनौती
यूपी में दलित (एससी) वोट करीब 22 फीसद है। यह वोट बसपा सुप्रीमो मायावती का कोर वोट माना जाता था। हालांकि, यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में बसपा को करीब 12.88 फीसद वोट मिला। जिसके चलते वर्ष 2007 चुनाव में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली बसपा का सिर्फ एक विधायक जीत पाया। बसपा का वोट फीसद लगातार कम हो रहा है। यह वोट भाजपा के साथ ही सपा में शिफ्ट होने लगा है। इस लोकसभा में बसपा को 5 से 7 फीसद वोट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। मगर, बाकी 5 से 7 फीसद एससी वोट इंडिया और एनडीए में शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में 1993 के बाद सबसे कम मत (वोट) मिले। यह घटकर सिर्फ 12.88 फीसद रह गए। इससे पार्टी काफी खराब दौर में पहुंच गई है। यूपी में 22 फीसदी दलित हैं, लेकिन पार्टी को 12.88 फीसदी वोट मिलना, यह बड़े संकेत हैं। इससे साफ है कि पार्टी का अपना बेस वोट भी दूर होने लगा है। बसपा ने 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। मगर, इसके बाद 2022 चुनाव में सिर्फ एक ही विधायक बना।
दिल्ली एमसीडी चुनाव में एक फीसद से कम वोट मिले थे।
बीएसपी का ग्राफ 2012 यूपी विधानसभा चुनाव से गिर रहा है। 2017 में बीएसपी 22.24 प्रतिशत वोटों के साथ सिर्फ 19 सीटों पर सिमट गई। हालांकि, 2019 लोकसभा चुनाव में वोट प्रतिशत में इजाफा नहीं हुआ लेकिन एसपी के साथ गठबंधन का फायदा मिला, और 10 लोकसभा सीटें पार्टी ने जीतीं थीं। ऐसे में बीएसपी की आगे की राजनीतिक राह काफी मुश्किल है। उसको राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बचाना काफी मुश्किल हो गया है। इसके साथ ही विधानमंडल से लेकर संसद तक में प्रतिनिधित्व का संकट खड़ा हो जाएगा।
जान लें राष्ट्रीय दल बरकरार रखने का नियम
राष्ट्रीय दल के नियम के मुताबिक चुनाव चिन्ह (आरक्षण और आवंटन आदेश, 1968) में कहा गया है कि एक राजनीतिक दल को एक राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता दी जा सकती है। यदि वह कम से कम तीन अलग-अलग राज्यों से लोकसभा में 2 प्रतिशत सीटें जीतता है, लोकसभा या विधानसभा चुनावों में कम से कम चार या अधिक राज्यों में हुए मतदान का कम से कम 6 फीसदी वोट हासिल करता है। इसके अलावा, यह कम से कम चार लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करता है। पार्टी को चार प्रदेशों में राज्य पार्टी के रूप में मान्यता मिलती है। चुनाव आयोग ने आखिरी बार 2016 में नियमों में संशोधन किया था, ताकि पांच के बजाय हर 10 साल में राष्ट्रीय और राज्य पार्टी की स्थिति की समीक्षा की जा सके।
बसपा का चुनावों में प्रदर्शन
कांशीराम ने 14 अप्रैल 1984 को बसपा की स्थापना की थी। बसपा के 13वीं लोकसभा (1999-2004) में पार्टी के 14 सदस्य थे। 14वीं लोकसभा (2004- 2009) में यह संख्या 17 और 15वीं लोकसभा 2009- 2014 में यह संख्या 21 थी, लेकिन 16वीं लोकसभा (2014- 2019) में एक भी सांसद नहीं था। मगर, 17वीं लोकसभा (2019) में सपा गठबंधन का फायदा मिला। बसपा के 10 सांसद हैं।
पांच राज्यों के चुनाव में बसपा को मिलीं 2 सीट
पिछले वर्ष 3 दिसंबर, 2023 को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आया था। इसमें बसपा का वोट काफी कम हुआ है। राजस्थान विधानसभा चुनाव में बसपा को 1.82 प्रतिशत यानी 7, 21037 वोट मिले। उनके 2 विधायक जीते हैं, जबकि पिछली बार 2018 में 4.03 फीसद वोट, और 6 विधायक जीते थे। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में 2.09 फीसद वोट मिले। एक भी विधायक नहीं जीता, जबकि पिछले चुनाव 2018 में 3.87 फीसद वोट के साथ 2 विधायक जीत। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में 3.32 फीसद वोट मिले। कोई विधायक नहीं जीता, जबकि 2018 विधानसभा चुनाव में 5.01 फीसद वोट, और 2 विधायक जीते थे। तेलगना में 1.38 फीसद वोट मिले, कोई विधायक नहीं बना, 2018 में भी कोई विधायक नहीं था। मगर, 2014 में 2 विधायक जीते थे।