लखनऊ विश्वविद्यालय के नवीन परिसर स्थित इंस्टीट्यूट आफ न्यू एंड रिनेवेबल एनर्जी में जल्द ही सोलर वाटर पंप टेस्टिंग लैब की स्थापना की जाएगी। इसमें किसानों को दिए जाने वाले वाटर पंप की टेस्टिंग की जा सकेगी। इसके लिए राज्य सरकार के सेंटर आफ एक्सीलेंस के तहत लखनऊ विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट आफ न्यू एंड रिनिवेबल एनर्जी को प्रोजेक्ट मिला है।
दरअसल, पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों को सोलर वाटर पंप लगाने में आने वाले खर्च के लिए राज्य सरकार छूट देती है। इन पंप को बनाए जाने के लिए मिनिस्ट्री आफ न्यू रिनिवेबल एनर्जी ने मानक तय किए हैं। पंप बनने के बाद इन पंप के मानकों की जांच के लिए सिर्फ दिल्ली के ग्रुरुग्राम में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ सोलर एनर्जी स्थापित है। उत्तर प्रदेश में कोई भी जांच केंद्र नहीं है। लखनऊ विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट आफ न्यू रिनिवेबल एनर्जी की कोऑर्डिनेटर प्रो. ज्योतना सिंह ने बताया कि राज्य सरकार ने सेंटर आफ एक्सीलेंस के तहत टेस्टिंग लैब स्थापित करने के लिए शैक्षिक सत्र 2021-22 में यह प्रोजेक्ट दिया है।
शुरू हुई प्रक्रिया, छात्र भी होंगे ट्रेंड : लखनऊ विश्वविद्यालय में टेस्टिंग लैब स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। प्रो. ज्योतना सिंह के मुताबिक जो भी कंपनी पंप बनाएगी, उसकी जांच यहां तय मानक के अनुसार की जा सकेगी। यह पता लगाना आसान होगा कि किस कंपनी का वाटर पंप सही है। इसमें देखा जाएगा कि पंप का ऑपरेटिंग वोल्टेज कितना है, ओपेन सर्किट करेंट की क्या स्थिति है। इसके अलावा पावर, वाटर का आउट सहित कई चीजें शामिल हैं। उन्होंने बताया कि लैब स्थापित करने के लिए उपकरण खरीदने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जल्द ही लैब बनकर तैयार हो जाएगी। यह बेस्ट टेस्टिंग लैब के रूप में विकसित होगी। इसमें जांच के लिए छात्र भी ट्रेंड हो जाएंगे।