लखनऊ में खुद को इंस्पेक्टर बताकर साइबर ठगी, 3 लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर 1 करोड़ 8 लाख लूटे

Lucknow : लखनऊ में साइबर ठगी का एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें तीन लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर उनके माध्यम से लगभग एक करोड़ आठ लाख रुपए की ठगी की गई है। शातिर ठगों ने खुद को इंस्पेक्टर और सीबीआई अधिकारी बताकर पीड़ितों को जेल भेजने की धमकी दी और उनके मन में डर पैदा किया।

लखनऊ में साइबर जालसाजों ने दो बुजुर्गों और एलडीए में तैनात महिला कर्मचारी को डिजिटल अरेस्ट कर एक करोड़ आठ लाख रुपये की ठगी को अंजाम दिया है। दोनों बुजुर्गों ने साइबर क्राइम थाने और महिला ने इंदिरानगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। पुलिस ठगों का पता लगाने में जुटी है।

मामला क्या है?

राजाजीपुरम निवासी बुजुर्ग महालक्ष्मी श्रीवास्तव के मुताबिक, 24 नवंबर को उनके पास एक अंजान नंबर से कॉल आया। फोन करने वाले ने खुद को पुलिस हेडक्वार्टर में तैनात इंस्पेक्टर रंजीत कुमार बताकर कहा कि जम्मू-कश्मीर के अफजल खान के पास से उनका आधार कार्ड मिला है। उसने यह भी दावा किया कि आतंकवादी हाफिज फौजी ने उनके बैंक खाते में 70 लाख रुपये भेजे हैं और उन्होंने देश के खिलाफ जानकारी साझा की है।

यह सुन महालक्ष्मी को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दोषी ठहराने और जेल भेजने की धमकी दी गई। झांसे में लेने के लिए कथित एटीएस अफसर से बात कराई गई। इस दौरान, महालक्ष्मी को धमकाया गया और मदद का झांसा देकर डिजिटल अरेस्ट कर लिया। इस कार्रवाई के बाद उनके खाते से 30 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए गए। 6 दिसंबर को फिर से रकम मांगे जाने पर महालक्ष्मी को शक हुआ और उन्होंने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई।

दूसरा मामला

गोमतीनगर के वास्तु खंड निवासी उत्तर प्रदेश वित्त लेखा सेवा से रिटायर्ड राजेंद्र प्रकाश वर्मा के मुताबिक, 13 दिसंबर को उन्हें फोन कर खुद को इंस्पेक्टर रंजीत कुमार बताया गया। उसने कहा कि उनके खाते में सात करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए हैं, और यह लेन-देन मुंबई के एचडीएफसी बैंक कोलाबा खाते में हुआ है। ठग ने कहा कि उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ है और उन्हें जेल भेजा जाएगा।

राजेंद्र ने स्पष्ट किया कि वह एक पेंशनर हैं और उन्होंने कोई रकम नहीं ली है। इसके बाद, ठगों ने उनकी सारी बैंक जानकारी ले ली। फिर सात दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखकर 54.68 लाख रुपये की ठगी कर ली। 19 दिसंबर को ठगों ने दबाव बनाने के लिए पास के थाने जाकर पुलिसकर्मियों से बात कराने का दबाव डाला, लेकिन जब पीड़ित थाने पहुंचे तो ठगी का खुलासा हुआ।

तीसरा मामला

इंदिरानगर के तकरोही निवासी एलडीए में कनिष्ठ लिपिक ज्योति सिंह से साइबर अपराधियों ने 23.33 लाख रुपये वसूल लिए। 28 नवंबर को उनकी शादी की सालगिरह पर अंजान नंबर से कॉल आया, जिसमें कहा गया कि पार्सल भेजा जाएगा। ज्योति ने मना किया, लेकिन बाद में एक व्यक्ति ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर धमकाया और पार्सल लेने का दबाव बनाया।

करीब एक माह तक, साइबर जालसाज व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए अभियुक्तों से बात करते रहे, और उन पर आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता का आरोप लगाकर रकम वसूल की। ज्योति ने 29 नवंबर से 22 दिसंबर के बीच कुल 29.33 लाख रुपये अपने खाते में ट्रांसफर कर दिए। बाद में, रकम लौटाने का झांसा देकर उनका दूसरा खाता भी खुलवाया गया।

इन मामलों में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज की है और साइबर क्राइम यूनिट आरोपियों का पता लगाने में जुटी है। साथ ही, पीड़ितों से प्राप्त जानकारी के आधार पर जालसाजों की गिरफ्तारी के प्रयास तेज कर दिए गए हैं।

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