यूपी का रण : त्रिकोणीय संघर्ष में फंसी प्रतापगढ़ संसदीय सीट

 प्रतापगढ़.  प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र में बसपा ने सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अपनाते हुए ब्राहमण प्रत्याशी आखिर में घोषित कर ही दिया। कल देर रात आई बसपा की सूची में प्रथमेश मिश्र का नाम था। इस घोषणा से आज राजनीतिक क्षेत्रों में गहमा-गहमी बहुत बढ़ गई है।


राजनैतिक सूत्रों की मानें कि बसपा अब प्रतापगढ़ क्षेत्र में सपा और भाजपा के बीच में अपना स्थान बनाकर राजनीतिक चुनावी गणित को प्रभावित करेगी। आज बसपा प्रत्याशी प्रथमेश पहली बार प्रत्याशी होकर शहर आए तो बसपा के जोनल प्रभारी राजू गौतम व उनकी टीम ने बसपा पदाधिकारियों से उनका परिचय कराया और पूरी मजबूती से चुनाव लड़ने के टिप्स दिये। बसपा द्वारा ब्राहमण कार्ड खेलने से यह चुनाव अब पूर्णतया जातीय मकड़जाल में फंस गया है। भाजपा व सपा प्रत्याशी बैकवर्डों पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित किये हुए हैं तो मायावती ने प्रतापगढ़ में सवर्ण कार्ड खेलकर सभी को और उलझा दिया है। बता दें कि प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र में दो विधान सभा क्षेत्रों सदर और विश्वनाथगंज पर भाजपा का कब्जा है। सदर से विधायक राजेन्द्र मौर्य और विश्वनाथगंज से विधायक जीतलाल पटेल के अलावा समाजवादी पार्टी में पट्टी व रानीगंज से सपा के विधायक राम सिंह पटेल व डा0 आरके वर्मा प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। रामपुर खास से प्रमोद तिवारी की बेटी आराधना मिश्र मोना विधायक हैं। इस तरह तीन विधायक इण्डिया गठबंधन के प्रत्याशी के साथ और दो विधायक भाजपा प्रत्याशी के साथ हैं। बसपा का कोई विधायक नहीं है लेकिन वह अपनी सोशल इंजीनियरिंग लगाते हुए सवर्ण, बैकवर्ड, अनुसूचित जाति व अल्पसंख्यकों को मिलाकर चुनाव लड़ने के फेर में है। इससे यह चुनाव और दिलचस्प बनेगा।


 
माता पिता भाजपा में, बेटे ने पकड़ी हाथी की सूंड
प्रतापगढ़। बसपा प्रत्याशी प्रथमेश मिश्र के पिता शिव प्रकाश मिश्र सेनानी भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। वह कुण्डा विधान सभा से भाजपा से दो बार विधान सभा का चुनाव लड़ चुके हैं। प्रथमेश की माता सिंधुजा मिश्रा जिला सहकारी बैंक की अध्यक्षा रही हैं और वह विश्वनाथगंज से भी भाजपा से चुनाव लड़ चुकी हैं। दोनों अभी भी भाजपा में हैं। इस बारे में शिव प्रकाश मिश्र ने कहा कि वह कौशाम्बी के प्रभारी हैं। बेटे ने उनसे कोई राय मशवरा नहीं लिया।

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