बिहार चुनाव में एक वक्त ऐसा था कि लोजपा को कोई ज्यादा तवज्जो नहीं देता था लेकिन आज वो लोग भी लोजपा को अपने साथ मिलाने के लिए तैयार हो गए हैं जो रामविलास पासवान को लेकर हमेशा ही अटपटे बयान देते रहते थे। इसकी वजह केवल-और-केवल चिराग पासवान हैं। चिराग ने नीतीश पर हमला करके जहां बिहार में बीजेपी के लिए नई जमीन तैयार करने रास्ता साफ किया है तो वहीं दूसरी ओर अब नीतीश के विरोधी भी चिराग से हाथ मिलाने को तैयार हो गए हैं। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव तक सरकार बनाने के लिए चिराग को शामिल करने की बात कह रहे हैं जो दिखाता है कि इस चुनाव में चिराग पहले से ही एक किंगमेकर बन गए हैं।
हाल ही में एक जनसभा को संबोधित करते हुए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि नीतीश ने चिराग का हमेशा अपने लिए बस इस्तेमाल किया है और फिर जब उनका काम हो गया तो उनको अपमानित कर दिया। तेजस्वी ने कहा है कि रामविलास पासवान के साथ हमारे घरेलू संबंध थे। उनका लगातार अपमान किया गया इसके साथ ही चिराग को भी वही अपमान सहना पड़ रहा है। तेजस्वी ने कहा है कि नीतीश के हराने के लिए वो किसी से भी गठबंधन कर सकते हैं और चिराग को भी शामिल सकते हैं। उन्होंने कहा, “सरकार बनाने के लिए जरूरत पड़ी तो चिराग पासवान का भी साथ ले सकते हैं।”
चिराग को सरकार बनाने के लिए शामिल करने को लेकर तेजस्वी के इस बयान के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। बेहद महत्वपूर्ण बात ये है तेजस्वी के इस बयान को बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना की कहावत वाली स्थिति की तरह देखा जा रहा है। तेजस्वी अपनी बेइज्जती खुद करा रहे हैं क्योंकि चिराग पहले ही बोल चुके हैं कि लोजपा चुनाव बाद बीजेपी के साथ गठबंधन की सरकार बनाएगी। यह एक बेहद ही हास्यासपद बात है कि चिराग जाना नहीं चाहते और तेजस्वी उन्हें लाने की बात कह रहे हैं। इस पूरे मसले के बाद भले ही तेजस्वी की किरकिरी हो रही हो लेकिन सच तो ये है कि नीतीश से बगावत ने चिराग को गेम चेंजर और किंग मेकर तक बना दिया है।नीतीश से बगावत कर चिराग जहां नीतीश के लिए मुसीबत बने हैं तो वहीं चुनाव बाद भी नीतीश को कुछ सीटों की जरूरत हुई तो चिराग नीतीश को झुकने पर मजबूर करते हुए किंगमेकर के तौर पर सौदा ही करेंगे। इसके अलावा आरजेडी के खेमे में तो चिराग जाएंगे ही नहीं, लेकिन अगर किसी गठबंधन को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो फिर चिराग की भूमिका सबसे ज्यादा अहम हो जाएगी। उनके हाथ में सत्ता का दोतरफा लड्डू होगा। वहीं चिराग बीजेपी के लिए तो तुरुप का इक्का साबित हो ही सकते हैं।
हम आपको अपनी की रिपोर्ट्स में पहले ही बता चुके हैं कि चिराग का नीतीश के खिलाफ जाना सबसे ज्यादा बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकता है। वह कह चुके हैं कि बिहार चुनावों के दौरान उनकी पार्टी केवल नीतीश की पार्टी जेडीयू के खिलाफ ही उम्मीदवार उतारेगी और बीजेपी के साथ उसका कोई बैर नहीं है। बीजेपी अपना जातीय गणित साधते हुए सही पिच पर बैटिंग कर रही है तो वहीं महागठबंधन से लेकर छोटी पार्टियों ने नीतीश के वोट बैंक को तीखी चोट पहुंचाने की रणनीति बना ली है। इसके अलावा चिराग की पार्टी लोजपा का भी नीतीश के विरोध में आना नीतीश के लिए दोगुनी मुसीबत का सबब बन सकता है।
बीजेपी के गठबंधन साथी का कमजोर साबित होना एक ऐसी स्थिति को जन्म दे सकता है जिसमें नीतीश को सीएम की कुर्सी तक से हटना पड़े। इसके बाद राज्य में पहली बार सीएम देकर बीजेपी सरकार का स्टेयरिंग व्हील अपने हाथों में ले सकती है जिसकी बड़ी और एक मात्र वजह केवल पासवान ही होंगे।
ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि बेहद ही उबाऊ बिहार के विधानसभा चुनावों में जिस तरह से चिराग ने नीतीश से बगावत की है उससे न केवल बिहार चुनाव दिलचस्प हुआ है बल्कि वह सबसे बड़े किंग मेकर बन के सामने आए हैं जिससे नीतीश की धड़कनें बढ़ गई हैं।