पंजाब में बढ़ा तनाव : प्रवासी मजदूरों के पलायन से फैक्ट्रियों और खेतों में कामकाज प्रभावित, जानिए क्या है वजह

चंडीगढ़ । पंजाब में प्रवासी मजदूरों और उत्तर भारतीयों के खिलाफ माहौल लगातार तनावपूर्ण होता जा रहा है। हाल ही में होशियारपुर में मासूम बच्ची से दुष्कर्म और हत्या की वारदात के बाद कई गांवों में गुस्सा भड़क गया। इसके बाद कई पंचायतों ने बाहरी लोगों को गांव छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मकान मालिकों पर दबाव डालकर किरायेदारों से घर खाली कराए जा रहे हैं।

जानकारी अनुसार इस स्थिति से लुधियाना, अमृतसर और भटिंडा जैसे औद्योगिक व कृषि केंद्रों से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने-अपने गृह राज्यों—उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल—की ओर लौट रहे हैं। रेलवे स्टेशनों पर भीड़ और अफरातफरी का माहौल है। मजदूरों के पलायन से फैक्ट्रियों का उत्पादन और खेतों का कामकाज प्रभावित होने लगा है।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस स्थिति को और गंभीर बनाने में आतंकी और खालिस्तानी समर्थक संगठनों की भूमिका बताई जा रही है। ये संगठन माहौल को पंजाबी बनाम बाहरी की लड़ाई में बदलने की कोशिश कर रहे हैं। इससे राज्य में सामाजिक सौहार्द और कानून-व्यवस्था दोनों के लिए बड़ा खतरा खड़ा हो गया है। वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शांति बनाए रखने की अपील की है और प्रवासी मजदूरों को भरोसा दिलाया है कि उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है।

इससे उलट विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर निष्क्रियता और विफलता का आरोप लगाया है। राजनीतिक दलों का कहना है कि सरकार समय रहते कार्रवाई करती तो स्थिति इतनी नहीं बिगड़ती। पहले से बाढ़ की चुनौतियों से जूझ रहे पंजाब में अब सामाजिक तनाव ने हालात को और कठिन बना दिया है। उद्योग जगत और किसान संगठनों ने भी चिंता जताई है कि अगर प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी रहा तो राज्य की अर्थव्यवस्था और उत्पादन व्यवस्था चरमरा जाएगी।

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