नई दिल्ली । कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के तेवर काफी बदल गए हैं। उन्होंने कांग्रेस को 99 सीटें जिताकर पार्टी में जान फूंक दी है। उनके प्रयास और परिश्रम का ही प्रतिफल है कि आज कांग्रेस एक बार फिर उठकर खड़ी हो गई है। यही वजह है कि कांग्रेस के नेता उन्हे संसद में नेता विपक्ष देखना चाहते हैं। इसके लिए शायद वे तैयार नहीं है। लेकिन बीते रोज संसद सत्र में जिस तरह से राहुल गांधी में एक कॉन्फीडेंस दिखाई दिया उससे अंदाजा लगाया जाने लगा कि वे नेता विपक्ष की जिम्मेदारी भी लेंगे और मोदी सरकार से भिड़ेंगे भी।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी अब तक संसद में पार्टी के एक सांसद के तौर पर ही काम करते दिखे हैं। यूपीए सरकार रहने के दौरान वह केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं बने थे और फिर कांग्रेस के विपक्ष में आने के बाद भी वह संसद में नेता विपक्ष जैसे अहम रोल में नहीं दिखे। भाजपा उनके जिम्मेदारी न लेने को मुद्दा बनाती रही है। लेकिन अब राहुल गांधी का रुख बदलता दिख रहा है और वह लोकसभा में नेता विपक्ष की जिम्मेदारी संभालने को तैयार नजर आ रहे हैं। सोमवार को चुनाव के बाद आयोजित पहले सत्र में वह पहली कतार में ही अखिलेश यादव के साथ बैठे नजर आए। इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी जब सांसद के तौर पर शपथ लेने पहुंचे को उन्हें संविधान की कॉपी दिखा रहे थे।
राहुल गांधी के इस रुख से अनुमान लगाया जा रहा है कि वह नेता विपक्ष बनने के लिए तैयार हैं। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि राहुल गांधी पार्टी के अध्यक्ष नहीं हैं। ऐसे में उन्हें लोकसभा में नेता विपक्ष की जिम्मेदारी लेकर नेतृत्व करना चाहिए। यह उनके लिए मौका भी है क्योंकि पार्टी को लोकसभा में 99 सीटें मिली हैं, जो उसकी उम्मीद से अधिक हैं। इसके अलावा भाजपा को उसके नेतृत्व वाला इंडिया अलायंस 240 सीटों पर ही रोकने में सफल रहा। इन नतीजों के बाद भी कांग्रेस लगातार तीसरी बार केंद्र सरकार से बाहर है, लेकिन बीते दो चुनावों को देखते हुए वह 99 के आंकड़े को अपने लिए सफलता मान रही है।
इस सफलता का क्रेडिट राहुल गांधी को दिया जा रहा है। इसलिए पार्टी मान रही है कि राहुल गांधी को अहम रोल में लाने का यह अहम मौका है। कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया है और अब उनके ऊपर है कि वह इस भूमिका को स्वीकार करें या नहीं। लेकिन राहुल गांधी ने पहले ही दिन अपने रुख से संकेत दिया है कि वह नेता विपक्ष बनने को तैयार हैं। वह उसी सीट पर बैठे नजर आए, जहां अब तक कांग्रेस की ओर से लोकसभा में नेता रहे अधीर रंजन चौधरी बैठा करते थे। इस बार अधीर रंजन चौधरी चुनाव में हार गए थे। बता दें कि अब तक लोकसभा में सीटों का आवंटन नहीं हुआ है, लेकिन अधीर की सीट से राहुल ने संकेत जरूर दिया है।
राहुल गांधी के नेता विपक्ष बनने के संकेत रॉबर्ट वाड्रा ने भी दिए हैं। वाड्रा ने कहा कि वह नेता विपक्ष के रूप में प्रभावी होंगे। उन्होंने कहा, मैं राहुल गांधी को अच्छे से जानता हूं। वह मेरे भाई जैसे हैं। मुझे पता है कि वह जो भी करते हैं, पूरे मन से करते हैं। मुझे पता है कि वह नेता विपक्ष के तौर पर अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। गौरतलब है कि राहुल गांधी के साथ ही अखिलेश यादव और फैजाबाद से जीते अवधेश प्रसाद भी बैठे थे। इस तरह राहुल और अखिलेश ने यह संदेश भी दिया कि उनका गठबंधन मजबूत है।