सेक्स के समय आप सेफ सेक्स के लिए कंडोम का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन कई लोग इसके इस्तेमाल से बचते हैं. अगर आप कंडोम का इस्तेमाल नहीं करना चाहते या हार्मोन पर असर पड़ने के कारण पिल्स भी लेना पंसद नही करते तो पुल-आउट मेथड एक ही तरीका बच जाता है. अनचाहे प्रेगनेंसी को रोकने के लिए ही ये तरीका है. लेकिन इस मेथड को बहुत कम भरोसा किया जा सकता है. इस मेथड को आजमाने के पहले इन बातों के बारे में जानकारी होनी चाहिए. जानते हैं एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं.
पुल आउट मेथड को करने का तरीका पता होना चाहिए
इसमें गलती होने की गुंजाइश कुछ ज्यादा है. इस तरीके में पुरूष जल्दी वीदड्रा नहीं कर पाते हैं जिसके कारण सीमेन से भरे स्पर्म की कुछ बूंद चले जाना का खतरा रह ही जाता है. इसलिए मेल पार्टनर को न सिर्फ इजाक्युलेट करने के पहले पुल आउट करना चाहिए वरन् इजाक्युलेट भी जेनिटेल एरिया के बाहर करना चाहिए.
एसटीडी के खतरे को नहीं करता कम
पुल आउट मेथड एसटीआई के खतरे को पूरी तरह से रोक नहीं पाता है. जितना भी आप इस मेथड को सही तरीके से करें लेकिन तब भी आप जेनिटल वार्ट्स और हर्प्स के खतरे को कम नहीं कर सकते क्योंकि त्वचा से त्वचा का संपर्क तो होता ही है. यहां तक कि प्री-इजाक्युलेशन के दौरान सिफिलिस, क्लामेडिया और गोनोरिया के होने की संभावना ज्यादा रहती है.
वैजाइनल इंफेक्शन होने के खतरे को करता है कम
वैसे तो पुल आउट मेथड असरदार गर्भनिरोधक तरीका नहीं है लेकिन इसकी अच्छी बात ये है कि बैक्टिरीयल वैगनोसिस जैसे वैजाइनल इंफेक्शन होने का खतरा इस मेथड को आजमाने से कम किया जा सकता है.
कंडोम की तुलना में इसके विफल होने का चांस ज्यादा होता है
कंडोम की तुलना में बर्थ कंट्रोल, और यूडीआई को रोकने का वीदड्राल या कोइटस मेथड अनचाहे प्रेगनेंसी को रोकने बहुत ही कमजोर तरीका है. स्टडी के अनुसार इस मेथड के 17 प्रतिशत तक विफल होने का चांस कंडोम के तुलना में होता है. यानि इस स्टडी के अनुसार प्रेगनेंसी को रोकने का ये तरीका सेकेंडरी या दि्तीय दर्जे का है.