बिहार विधानसभा चुनाव जो करीब दो महीने पहले एकतरफा लग रहे थे, वो अब बेहद दिलचस्प हो गए हैं और इस दिलचस्पी की वजह हैं लोकजनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान। चिराग जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोल रहे हैं तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी श्रद्धा दिखा रहे हैं। बीजेपी चिराग पर हमलावर है तो चिराग बीजेपी को हमला करने के लिए और अधिक प्रेरित कर रहे हैं। सीटों की रणनीति को भी चिराग ने ऐसे सेट किया है कि हवाइयां केवल नीतीश कुमार की उड़ी हुई हैं और मजे सारे बीजेपी के ही हैं। ऐसे में ये जाहिर होता जा रहा है कि जैसे-जैसे ये चुनावी जंग अपने अंतिम चरणों में जाएगा तो मामला अधिक पेचीदा होगा और परिणाम बेहद रोचक होंगे।
चिराग का नया दांव
लोजपा नेता चिराग पासवान ने बिहार चुनाव को लेकर शुरु से ही नीतीश पर हमला करना शुरू कर दिया था। गठबंधन में सीटों को लेकर सार्वजनिक तौर पर खूब उठा-पटक मची थी जिसके बाद एनडीए गठबंधन से लोजपा बाहर हो गई। असली खेल तो लोजपा के बाहर जाने के बाद ही शुरु हुआ क्योंकि चिराग ने नीतीश की पार्टी जेडीयू के खिलाफ अपने उम्मीदवारों का ऐलान तो किया लोकिन बीजेपी की खिलाफत से साफ इंकार कर दिया और ये नीतीश के लिए एक तगड़े झटके की तरह ही था।
पीएम मोदी से प्रेम
चिराग पासवान लगातार प्रधानमंत्री के प्रति अपनी श्रद्धा जाहिर करते रहें है। हाल ही में अपने पिता राम विलास पासवान के निधन के बाद जिस तरह से पीएम के व्यवहार पर चिराग ने उनकी तारीफ की थी उससे साबित हो गया था कि चिराग मोदी से अपने संबंधों को अधिक मजबूत करना चाहते हैं। इसके अलावा हाल ही में बीजेपी के नेताओं ने चिराग के विपक्ष में होने के चलते उन पर हमला बोला तो चिराग का बयान नीतीश के लिए और खतरनाक हो गया। चिराग ने कहा कि मुझे इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि बीजेपी या पीएम मोदी मुझको लेकर क्या बोलते हैं। पीएम मोदी असमंजस की स्थिति में न आएं और गठबंधन धर्म का पालन करते हुए मुझ पर खुल कर हमला बोलें। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मेरे पापा के लिए उन्होंने जो कुछ किया उसे मैं कभी नहीं भूल सकता। मेरे और प्रधानमंत्री जी के रिश्ते कैसे हैं, मुझे यह प्रदर्शित करने की जरूरत नहीं है।
अपने इस बयान से चिराग पासवान ने आम जनता की दुविधा को भी सुलझा दिया। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वे भाजपा के खिलाफ नहीं, बल्कि नीतीश के खिलाफ रहेंगे। इसके साथ ही आम जनता भी अब बिना किसी असमंजस के लोजपा को वोट कर सकती है जो अपने बयानों से अदृश्य गठबंधन की ओर इशारा कर रहे हैं।
वास्तव में पीएम मोदी को लेकर चिराग के बयान सबसे ज्यादा मुश्किलें सीएम नीतीश कुमार के लिए खड़ी करने वाले हैं। चिराग पहले ही बोल चुके हैं कि वो नीतीश कुमार को सत्ता से हटाने के लिए कुछ भी करेंगे। इस पूरे मसले पर चिराग भावनात्मक रूप से भी नीतीश को हमला बोल चुके हैं। हम आपको अपनी रिपोर्ट में पहले ही बता चुके हैं कि चिराग ने किस तरह से अपने बीमार पिता के संबंध में नीतीश पर हमला बोला था। चिराग पिता से लेकर पीएम मोदी तक के सभी मामले में भावनात्मक दांव पर खेल रहे हैं।
नीतीश पर हमला
नीतीश को लेकर चिराग का पत्र पहले ही सामने आ चुका है जिसमें उन्होंने सीधा आरोप लगाए कि उनके पिता की हालत नाजुक होने के बावजूद तथाकथित सुशासन बाबू उन पर हमला बोलते रहे और मुझ पर भी अमर्यादित बयान देकर उन्होंने अपना असली रंग दिखाया है। रामविलास के राज्यसभा जाने के वक्त का बवाल सार्वजनिक करके चिराग ने नीतीश की प्रवृत्ति सबके सामने ला दी थी कि असल में वो कितने अधिक अवसरवादी व्यक्ति हैं। चिराग साफ-साफ हर मसले पर नीतीश को घेर रहे हैं। नीतीश के कार्यकाल और उनके विकास के दावों की पोल तो चिराग आए दिन खोलते ही रहते हैं जिससे नीतीश के लिए ये चुनावी समर सबसे ज्यादा मुश्किल होता जा रहा है।
सत्ता बचाने की चुनौती
बता दें कि नीतीश के लिए ये चुनाव बेहद आसान माना जा रहा था। लोगों का मानना था कि बिहार में विपक्ष काफी कमजोर है जबकि नीतीश के साथ पीएम मोदी की छवि सोने पर सुहागा की तरह ही होगी। इसी के चलते बिहार के चुनाव में माना जाने लगा था कि इस बार फिर नीतीश कुमार बिहार के सीएम की शपथ लेंगे, लेकिन चिराग को शायद ये मंजूर नहीं था। उन्होंने जो कदम उठाया उससे नीतीश की हवाइयां उड़ी हुई हैं।
नीतीश जो पूरे कोरोना काल में अपने मुख्यमंत्री निवास से बाहर नहीं निकले, उन्हें चिराग की बगावत के बाद चुनावी भीड़ में जाकर लोगों को अपने विकास कार्य गिनाने पड़ रहे हैं। चिराग कह चुके हैं कि चुनाव के बाद वो दोबारा एनडीए में शामिल होंगे। इस बयान के कारण नीतीश को अपनी कुर्सी जाने का डर लग रहा है, इसलिए वो अब वो राज्य में घूम-घूम कर लोगों से समर्थन मांग रहे हैं।
दोनों हाथों में लड्डू
एनडीए गठबंधन के प्रमुख चेहरे नीतीश कुमार का रंग उड़ा हुआ है, लेकिन बीजेपी फिर भी खुश है क्योंकि उसके लिए दोनों तरफ फायदा ही है। एक तो नीतीश के साथ गठबंधन दूसरा पीएम मोदी की छवि तीसरा रसातरल में विपक्ष और लोजपा का भी खुला समर्थन। हम अपनी रिपोर्ट में बता चुके हैं कि कैसे चिराग की मदद से बिहार में बीजेपी अपना पहला मुख्यमंत्री बना सकती है। कुल मिलाकर ये सारा गणित केवल बीजेपी के लिए ही फायदे का सौदा हैं इसमें फायदा चिराग का भी है लेकिन नुकसान केवल और केवल नीतीश समेत उनकी पार्टी जेडीयू का है।
बिहार के इस पूरे गणित को जटिल बनाने वाले केवल चिराग पासवान ही हैं जिन्होंने एक तरफ नीतीश की मुश्किले बढ़ाई हैं तो दूसरी ओर बीजेपी को खुला समर्थने देते हुए अपने लिए राजनीतिक संभावनाओं के सारे दरवाजे खोल रखे हैं और इसके साथ ही बिहार चुनाव को रोचक रंग दे दिया है।