एलओसी पर एलसीए तेजस का नया ठिकाना बना अवंतीपोरा फॉरवर्ड एयरबेस, जानिए क्या है प्लान

– घाटियों में उड़ान भरने लेने के लिए एलसीए बेड़े को अग्रिम मोर्चों पर ले जाया गया

– कारगिल युद्ध के दौरान लॉन्चिंग बेस में से एक था वायुसेना का यह अग्रिम एयरबेस

नई दिल्ली, (हि.स.)। भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के साथ सीमा पर घाटियों में उड़ान का अनुभव लेने के लिए स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस को जम्मू और कश्मीर में स्थानांतरित कर दिया है। केंद्रशासित प्रदेश में उड़ान और अन्य अभियानों में अनुभव प्राप्त करने के लिए एलसीए बेड़े को अग्रिम मोर्चों पर ले जाया गया है, जहां बेड़े के पायलट व्यापक उड़ान भर रहे हैं। इन विमानों के लिए फिलहाल अवंतीपोरा फॉरवर्ड एयरबेस पर ठिकाना बनाया गया है।

भारतीय वायुसेना के केंद्रशासित प्रदेश में कई अड्डे हैं, जो चीन और पाकिस्तान सहित दोनों मोर्चों पर संचालन के लिए महत्वपूर्ण हैं। वायुसेना अनूठे इलाके में उड़ान भरने का अनुभव लेने के लिए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख सहित उत्तरी क्षेत्र में अपने लड़ाकू विमानों को ले जाती रहती है। वायुसेना अधिक से अधिक क्षमताओं को जोड़कर स्वदेशी एलसीए तेजस लड़ाकू विमान का पुरजोर समर्थन कर रही है। वायुसेना ने एलसीए तेजस की दो स्क्वाड्रन का संचालन शुरू कर दिया है, जबकि 83 मार्क-1ए के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिनकी डिलीवरी अब से कुछ साल बाद होने वाली है।

वायु सेना ने तेजस के लिए तमिलनाडु में 45 स्क्वाड्रन ‘फ्लाइंग डैगर्स’ और 18 स्क्वाड्रन ‘फ्लाइंग बुलेट्स’ सुलूर एयर बेस पर बनाई हैं, जो तेजस लड़ाकू विमान के प्रारंभिक परिचालन मंजूरी (आईओसी) और अंतिम परिचालन मंजूरी (एफओसी) वेरिएंट से सुसज्जित हैं। अब वायु सेना की नजर एलसीए मार्क-2 और पांचवीं पीढ़ी के उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) पर भी है। स्वदेशी एलसीए तेजस को पहले से ही पाकिस्तानी और चीनी संयुक्त उद्यम जेएफ-17 फाइटर जेट की तुलना में कहीं अधिक सक्षम माना जाता है। हैमर जैसी मिसाइल से लैस होकर तेजस उनसे कहीं अधिक उच्च श्रेणी में होगा।

कश्मीर की वादियों में एलसीए तेजस के उड़ान भरने की पुष्टि तब हुई, जब भारतीय वायुसेना की पश्चिमी वायु कमान ने एओसी-इन-सी एयर मार्शल पीएम सिन्हा के अवंतीपोरा फॉरवर्ड एयरबेस के दौरे के बारे में एक ट्वीट साझा किया, जहां उन्हें तेजस एमके-1 लड़ाकू विमान की जांच करते देखा गया। वायुसेना का यह अग्रिम एयरबेस कारगिल युद्ध के दौरान लॉन्चिंग बेस में से एक था। उन्होंने वायुसैनिकों से बातचीत की और उनकी परिचालन तैयारियों की सराहना की। वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने भी हाल ही में एक फॉरवर्ड फाइटर बेस के कर्मियों के साथ बातचीत करके उनकी उच्च परिचालन तैयारियों को सराहा है।

इससे पहले अगस्त, 2020 में दावा किया गया था कि जून, 2020 में गलवान झड़प और उसके बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ सीमा गतिरोध के मद्देनजर वायु सेना ने तेजस लड़ाकू विमानों को पश्चिमी सीमा पर एक फॉरवर्ड एयरबेस पर रखा था। चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर इन विमानों की तैनाती से पता चलता है कि भारतीय वायुसेना को इन विमानों की क्षमताओं पर पूरा भरोसा है और वह उन्हें आगे के हवाई क्षेत्र में भारत के विरोधियों के सामने तैनात करने के लिए तैयार है। वायु सेना ने 2021 में 83 तेजस एमके-1ए विमान खरीदे हैं, जिनकी कीमत लगभग 48 हजार करोड़ रुपये है, जिनकी आपूर्ति 2024 में निर्धारित है।

तेजस एमके-1 की तुलना में उन्नत तेजस एमके-1ए में 40 विमान अपग्रेडेड होंगे। इनमें अधिक ऊंचाई पर दुश्मन के विमानों की पहचान करने और जाम को रोकने के लिए उनमें एक सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्कैन किए गए एरे राडार के साथ-साथ एक नया डिजिटल फ्लाइंग कंट्रोल कंप्यूटर (डीएफसीसी), सेल्फ-प्रोटेक्शन जैमिंग सूट (एएसपीजे) भी लगाया जाएगा। एलसीए एमके-1ए के 63 विमानों में इलेक्ट्रॉनिक एईएस राडार लगेंगे, जिसके लिए डीआरडीओ और एचएएल में करार हुआ है। इसके बाद तेजस एमके-1ए की स्क्वाड्रन ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियां कर रही वायुसेना को नई आसमानी ताकत देगी और भविष्य में यह स्वदेशी लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना का रीढ़ साबित होगा।

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