सरसों के भाव में करीब डेढ़ हजार रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है। लेकिन तेल के भाव में ज्यादा फर्क नहीं दिख रहा है। मामूली अंतर और उतार-चढ़ाव के बीच वह आज भी 165 रुपये लीटर बिक रहा है, जबकि अगले माह के अंत तक सरसों की नई फसल खेतों से बाहर आने वाली है। कृषि विभाग की मानें तो सरसों के उत्पादन का रकबा लगातार बढ़ रहा है। लखनऊ में एक साल पहले जो तिलहन की खेती नौ हजार हेक्टेयर में होती थी, इस बार वह बढ़कर 13,000 हेक्टेयर हो गई है। बावजूद इसके तेल का दाम बढ़ रहा है। थोक मंडी में बैल कोल्हू 1,640 रुपये दस लीटर है।
फुटकर मंडी
खाद्य तेल कीमत रुपये प्रति लीटर महीनेभर पहले मौजूदा दर
बैल कोल्हू 170 165 से 168
सरसों का रेट पहले अब रुपये प्रति क्विंटल
सरसाें पुरानी 7,500 से 8,000 6,000 से 6,500
नई सरसों का भाव 5,000 से 5,500
वर्ष 2019-20 में 2,321 मीट्रिक टन तिलहन का उत्पादन
वर्ष 2020-21 में बढ़कर 4,697 मीट्रिक टन
बीते तीन साल में लगातार सरसों का रकबा बढ़ रहा है। इस बार उत्पादन बढ़कर 13,000 हेक्टेयर मीट्रिक टन हो गया है। इस बार फसल और बेहतर है। इसके बावजूद तेल का दाम बढ़ रहा है। यह समझ से परे है। -डा. सीपी श्रीवास्तव, उप कृषि निदेशक
उत्पादन इस साल करीब डेढ़ से दोगुना होने की जानकारी है। ऐसे में अब तेल के भाव जल्द गिरना शुरू हो जाएंगे। फिलहाल पांच रुपये लीटर की कमी आई है। आगे रेट बहुत तेजी से गिरेंगे। जमाखोरी जैसी बात नहीं है। भाव चढ़ता देख किसानों ने भी माल रोक रखा था। अब नई फसल निकलने वाली है। वह भी अपना माल बाहर कर रहे हैं। -विपुल अग्रवाल, थोक तेल के कारोबारी फतेहगंज मंडी