जे.एस. विश्वविद्यालय मे हुआ दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आगाज

भास्कर समाचार सेवा

शिकोहाबाद।नगर के मैनपुरी रोड स्थित जे.एस. विश्वविद्यालय मे मंगलवार को मल्टीडिसीप्लीनरी कॉन्फ्रेस’ ऑन रीसेंट इनोवेशन इन साइंस इंजीनियरिंग मैनेजमेंट एण्ड ह्यमेनिटीज का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ विशिष्ट अतिथि डा. अनूप कुमार मुदगल पूर्व राजनायिक मारीशस के द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर किया गया। डा. सुकेश यादव, अशोक यादव, हिमांशु यादव ने डा. अनूप कुमार मुदगल एव अतिथि देववृत चतुर्वेदी का माल्यार्पण एव स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। विश्वविद्यालय की छात्राओं द्वारा नृत्य के माध्यम से स्वागतगीत प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डा. अनूप कुमार मुदगल ने कहा कि हम सभी जानते है कि हम विज्ञान और तकनीकी के समय में रह रहे है। हम सभी का जीवन वैज्ञानिक आविष्कारों और आधुनिक समय की तकनीकों पर बहुत अधिक निर्भर है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने लोंगो के जीवन को बड़े स्तर पर प्रभावित किया है। ऑनलाइन सम्बोधन के माध्यम से वियतनाम नेशनल यूनीवर्सिटी के डा. थान्ह-डॉन्ग ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधुनिकरण के हर पहलू को प्रत्येक राष्ट्र में लागू किया गया है। रसिया स्टेट यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमेनिटी रसिया के डा. वेरोनिका यानेख ने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों द्वारा बाद-विवाद में भाग लेने तथा बोलने से कौशल का विकास होता है।
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. सुकेश यादव ने सम्मेलन में आये हुये शोधार्थियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि इस आधुनिक दुनिया में एक देश के लिये दूसरे देशों से मजबूत ताकतवर और अच्छी तरह से विकसित होने के लिये विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में नये आविष्कार करना बहुत आवश्यक है। प्रति कुलाधिपति डा. पीएस यादव ने कहा इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन द्वारा प्रतिभागियों में विभिन्न प्रकार की योग्यताऐं विकसित करने की क्षमता प्राप्त की जा सकती है।
विश्वविद्यालय की चेयरपर्सन डा. गीता यादव ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के माध्यम से उच्च मानसिक योग्ताओं का विकास किया जा सकता है, जैसे दूसरों के प्रति सहनशीलता, विचारों मे खुलापन, दूसरों के साथ सहयोग की भावनाओं का सम्मान करना।इस दौरान कुलपति डा. हरिमोहन शर्मा, डायरेक्टर जनरल डा. गौरव यादव ने कहा कि इंजीनियर बनने का सपना प्रत्येक व्यक्ति के मन मे होना चाहिए।
विभिन्न शोधार्थियों के 348 शोध-पत्र प्राप्त हुये है। जिसमें देश-विदेश से आये हुए 80 से अधिक शोधार्थियों ने अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किये तथा पोस्टर के जरिये भी अपना व्याख्यान दिया। इस दौरान डा. पुष्पेन्दर कुमार, डा. मुक्ति शर्मा, डा. हरेन्द्र कुमार, डा. अमित कुमार चतुर्वेदी, सुकृति जैन, दिव्यांशु गुप्ता, रूपाली शर्मा का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम का संचालन डा. मुक्ति शर्मा एवं सुकृति जैन ने किया।

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